Move to Jagran APP

गुरु नानक की भेंट

गुरु नानक के जीवन से जुडी एक कहानी के माध्यम से सद्गुरु हमें बता रहे हैं, कि कैसे उनकी एक सुई ने एक रईस इंसान को अपनी गलती का एहसास करा दिया। गुरुनानक बेहद दयालु और हिम्मती थे। एक बार वह एक गांव से दूसरे गांव की पैदल यात्रा कर

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 10:08 AM (IST)Updated: Wed, 17 Dec 2014 10:13 AM (IST)
गुरु नानक की भेंट
गुरु नानक की भेंट

गुरु नानक के जीवन से जुडी एक कहानी के माध्यम से सद्गुरु हमें बता रहे हैं, कि कैसे उनकी एक सुई ने एक रईस इंसान को अपनी गलती का एहसास करा दिया। गुरुनानक बेहद दयालु और हिम्मती थे। एक बार वह एक गांव से दूसरे गांव की पैदल यात्रा कर रहे थे और लोगों को उपदेश देते जा रहे थे।

loksabha election banner

गुरु ने फिर कहा 'अगर तुम एक सुई तक अपने साथ लेकर नहीं जा सकते तो उस धन दौलत का क्या जो तुम एकत्र कर रहे हो, उसे भी तो तुम लेकर नहीं जा पाओगे।Ó वह हमेशा मुसकुराते रहने वाले और सीधे सादे संतों की तरह नहीं थे। वो अच्छी तरह जानते थे कि कब सख्त होना है और कब शांत। एक बार एक बेहद रईस इंसान के यहां वह मेहमान बनकर पहुंचे। कुछ दिनों बाद जब वह चलने लगे तो उन्होंने उस धनी आदमी को एक सुई दी और कहा 'इसे अपने पास रखना। फिर जब कभी तुम मुझे मिलो, इसे मुझे वापस कर देना।Ó गुरु नानक के जाने के बाद उस धनी आदमी ने यह बात अपनी पत्नी को बताई। पत्नी ने नाराज होते हुए कहा 'तुमने गुरु से यह सुई क्यों ली? वह बूढ़े हो चुके हैं। मान लो वह नहीं रहे तो तुम उन्हें यह सुई कैसे लौटाओगे? उनके जैसे शख्स की सेवा करना ठीक है, लेकिन उनसे कुछ भी लेना गलतबात है। अगर उनकी मौत हो गई तो तुम हमेशा के लिए उनके कर्जदार रहोगे। तुम उस एक कर्म को मिटाने में असमर्थ रहोगे और उसकी वजह से तुम्हें हजारों जन्म लेने होंगे। यह अच्छी बात नहीं है। किसी तरह से उन्हें ढूंढो और तुरंतयह सुई उन्हें वापस कर आओ।Ó वह रईस आदमी गुरु की खोज में निकल पड़ा।

दो महीने बाद उसने उन्हें ढूंढ लिया और कहा 'गुरु जी, मैं इस सुई को अपनेपास नहीं रखना चाहता। आप बूढ़े हो चुके हैं। अगर आप मर गए तो मैं इस सुई को स्वर्ग में साथ ले जाकर वहां तो आपको दे नहीं सकता। मैं हमेशा के लिए आपका कर्जदार हो जाऊंगा।Ó गुरु बोले- 'तो तुम जानते हो कि इस सुई को स्वर्ग में अपने साथ नहीं ले जा सकते?Ó आदमी बोला 'बिल्कुलÓ।

भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी इस धरती पर तबाही की असली वजह नहीं हैं, इसकी असली वजह है इंसान की अज्ञानता। अज्ञानता ही एकमात्र विपदा है और इसका एक ही हल है और वह है ज्ञान। गुरु ने फिर कहा 'अगर तुम एक सुई तक अपने साथ लेकर नहीं जा सकते तो उस धन दौलत का क्या जो तुम एकत्र कर रहे हो, उसे भी तो तुम लेकर नहीं जा पाओगे।Ó उस धनी आदमी को गुरु का संदेश मिल गया। वह उनके चरणों में गिर गया। घर लौटकर उसने केवल उतना अपने पास रखा, जितने की उसे अपने परिवार के लिए जरूरत थी। इसके बादउसने खुद को उन कामों के लिए समर्पित कर दिया, जिनकी समाज को जरूरत थी। इस दुनिया में सीमित स्थान है और संसाधन भी सीमित हैं।

चाहे कोई इंसान हो, समाज हो या देश, जब वे अंतहीन तरीके से चीजों को एकत्र करने लगते हैं तो उसका एक ही परिणाम होता है और वह यह कि खुद उसे और हर किसी को भी कष्ट और कलह का सामना करना पड़ता है। हर आदमी को अपने मन में यह तय करना होगा कि मेरी जरूरतें क्या हैं। वह उतना ले, इसके अलावा अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल वह दूसरों की भलाई करने में करे। जब तक ऐसा नहीं होता, इंसान खुद अपने लिए और इस दुनिया के लिए एक दुर्भाग्य की तरह है। भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी इस धरती पर तबाही की असली वजह नहीं हैं, इसकी असली वजह है इंसान की अज्ञानता। अज्ञानता ही एकमात्र विपदा है और इसका एक ही हल है और वह है ज्ञान।ÓÓ

साभार: सद्गुरु (ईशा हिंदी ब्लॉग)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.