अधर में लटकी अंबा
महान ग्रंथ महाभारत से जुड़ी छोटी-छोटी ऐसी कई कहानियां हैं, जो न सिर्फ रोचक हैं बल्कि इस ग्रंथ को पूरी तरह समझने में सहायक भी हैं। लीला में पेश है पांडवों और कौरवों के जन्म से जुड़ी ऐसी ही कहानीः
महान ग्रंथ महाभारत से जुड़ी छोटी-छोटी ऐसी कई कहानियां हैं, जो न सिर्फ रोचक हैं बल्कि इस ग्रंथ को पूरी तरह समझने में सहायक भी हैं। लीला में पेश है पांडवों और कौरवों के जन्म से जुड़ी ऐसी ही कहानीः
कृष्ण के समय में विवाह करने की एक खास प्रथा का चलन था। उस वक्त राजा महाराजा अपनी ताकत के बल पर स्त्रियों पर अधिकार कर लिया करते थे। राजा जाता था और जबर्दस्ती महिला का अपहरण कर लेता था और फिर उसे अपनी पत्नी बना लेता था। बाद में कृष्ण ने विवाह की इस रीति का चलन खत्म करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘इस तरह से किसी स्त्री को हासिल करना अधर्म है। यह न्यायपूर्ण नहीं है। किसी स्त्री को आप जानवरों की तरह लूटकर अपना नहीं बना सकते।’ कृष्ण ने जब यह बात कहीं, उससे पहले तक इस काम को बहादुरी और मर्यादा का काम माना जाता था। पुरुष कहीं जाता था, युद्ध करता था, स्त्री को हथिया लेता था और उसे अपने साथ ले जाता था। ऐसे पुरुष को उस वक्त हिरो समझा जाता था। आपको पता ही है, कैसे आपका भी सपना होता था कि एक शूरवीर किसी सफेद घोड़े पर सवार होकर आएगा – बस यह वही वाली बात थी।
आइए अब बात भीष्म की करते हैं। आपको पता ही है कि वह महान योद्धा थे और उस काल में कोई ऐसा नहीं था जो उनकी बराबरी कर पाता। एक बार भीष्म काशी गए। वहां उन्होंने हर किसी को परास्त कर काशीराज की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका का हरण कर लिया और उन्हें हस्तिनापुर ले आए। भीष्म ने इन कन्याओं को अपने लिए हासिल नहीं किया था। इन्हें वह राजा शांतनु और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य के लिए लेकर आए थे। अंबिका और अंबालिका को विचित्रवीर्य से विवाह करने में कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि उन्हें पता था कि उनका विवाह एक भावी राजा के साथ हो रहा है। लेकिन अंबा इस पूरे मसले से नाराज थी क्योंकि वह किसी और से प्रेम करती थी। भीष्म को नेकी और साधुता का प्रतीक माना जाता था। चाहे जो हो जाए, अपने जीवन की कीमत पर भी वह उन दिनों प्रचलित आचारनीति और सिद्धांतों पर अडिग रहते थे। खैर, अंबा ने भीष्म से कहा, ’आपको धर्म का प्रतीक माना जाता है। आप भला ऐसा कैसे कर सकते हैं? आप मुझे जबर्दस्ती अपने साथ ले आए हैं, जबकि मैं किसी और को अपना दिल दे चुकी हूं।’ भीष्म ने कहा, ’अगर ऐसी बात है तो तुम जा सकती हो।’ भीष्म ने एक पहरेदार के साथ अंबा को वापस भेज दिया। अंबा चेदि के राजा शल्य से शादी करना चाहती थी, लेकिन अब शल्य ने उसे अस्वीकार कर दिया और कहा, ’मैं किसी के दिए गए दान को नहीं लेना चाहता। पत्नी को हासिल करने के लिए लड़ी गई लड़ाई मैं हार चुका हूं। वह तुम्हें ले गया। अब मैं तुम्हारे रूप में उसके दिए गए दान को स्वीकार नहीं कर सकता और तुमसे विवाह नहीं कर सकता। तुम उसी के पास चली जाओ।’
अंबा न इधर की रही, न उधर की। उन दिनों की प्रथा के हिसाब से एक खास उम्र के बाद किसी महिला के अविवाहित रहने का प्रश्न ही नहीं उठता था। विवाह समाज का एक बेहद जरूरी हिस्सा था। कोई रास्ता न देख अंबा वापस भीष्म के पास वापस गई और बोली, ’आपने मेरा सब कुछ बर्बाद कर दिया। अब आप ही मुझसे विवाह कीजिए। आपने मुझे चुराया है। आप उस शख्स से मुझे छीन लाए जिसे मैं प्रेम करती थी। अब वह व्यक्ति मुझसे विवाह करने को तैयार नहीं है, क्योंकि वह मुझे दान के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहता। मेरी दो बहनों का विवाह पहले ही राजा के साथ हो चुका है, लेकिन उससे विवाह करने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। आप ही वह शख्स हैं जिसने मुझे जीता है इसलिए आप ही मुझसे विवाह कीजिए।’ भीष्म ने कहा, ’मैं शपथ ले चुका हूं कि मैं कभी विवाह नहीं करूंगा।’
साभार: सद्गुरु (ईशा हिंदी ब्लॉग)