नवरात्र के छठे दिन देवी कात्यायनी का अवाह्न, ध्यान व उपासना की जाती है
माँ दुर्गा की छठी शक्ति का रूप कात्यायनी का है। नवरात्र के छठे दिन देवी कात्यायनी का अवाह्न, ध्यान व उपासना की जाती है। कत नामक ऋषि के पुत्र कात्य हैं।
माँ दुर्गा की छठी शक्ति का रूप कात्यायनी का है। नवरात्र के छठे दिन देवी कात्यायनी का अवाह्न, ध्यान व उपासना की जाती है। कत नामक ऋषि के पुत्र कात्य हैं। इन कात्य ऋषि के गोत्र में महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए। इन कात्यायन ऋषि ने देवी को अपनी पुत्री रूप में पाने के लिए भगवती पराम्बा की कठोर तपस्या की। ऋषि की पुत्री के रूप में अवतार के लिए ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। माँ का दिव्य स्वरूप स्वर्ण के समान देवीप्यमान है। इनका वाहन सिंह है। माँ ब्रज मण्डल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
माँ के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें विनम्रता व सौम्यता के साथ उत्कृष्टतम जीवनशैली अपनाने की शक्ति प्रदान करता है। यह हमारी प्रतिभा व योग्यता का अभिवर्धन करके हमें सदाचार के मार्ग पर अग्रसर होने का संदेश प्रदान करता है। माँ के कल्याणकारी स्वरूप का ध्यान हमें सदाचार के मार्ग पर निर्बाध रूप से चलते रहने की शक्ति प्रदान करता है।
यह हमारी मेधा को श्रेष्ठ कर्मों में प्रवृश्र करके हममें दिव्यता की भावना का अभिवर्धन करता है। माँ के देदीप्यमान स्वरूप का ध्यान हममें विवके ज्ञानशीलता व प्रज्ञा का जागरण करके अलौकिक शांति की अनुभूति कराता है। यह हमें पतित स्थिति से उबारकर नैतिकता से भरपूर जीवन जीने की कला सिखाता है। माँ के ज्योतिर्मयी स्वरूप का ध्यान हमें बाह्य व आंतरिक रूप से पवित्र करके हमारे जीवन को तेज व कांति प्रदान करता है। यह हमें समय व संसाधनों के सदुपयोग की कला सिखाकर जीवन को उच्च मार्ग में ले जाने की शक्ति प्रदान करता है।
ध्यान मंत्र
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है।
- पं अजय कुमार द्विवेदी