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कमजोर नींव पर शीतकालीन यात्रा

सरकार के दावे के अनुसार रविवार को गंगोत्री की शीतकालीन यात्रा मुखबा गांव तक तो शुरू हो गई है पर मार्ग पर यात्रा से जुड़ी व्यवस्थाएं अभी भी अधूरी हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 18 Nov 2014 10:46 AM (IST)Updated: Tue, 18 Nov 2014 10:54 AM (IST)
कमजोर नींव पर शीतकालीन यात्रा

उत्तरकाशी। सरकार के दावे के अनुसार रविवार को गंगोत्री की शीतकालीन यात्रा मुखबा गांव तक तो शुरू हो गई है पर मार्ग पर यात्रा से जुड़ी व्यवस्थाएं अभी भी अधूरी हैं।

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आपदा के बाद बदहाल हालतों के बीच गर्मियों में यात्रा तो चली पर अपेक्षा से कम यात्री ही तीर्थस्थलों पर आए। इसी भरपाई करने के लिए सरकार ने शीतकाल यात्रा शुरू करने की पहल की लेकिन जिस तरह यात्रा मार्ग के हालात हैं, उससे नहीं लगता कि यात्री आसानी से मुखबा तक पहुंच पाएंगे। धराली तक गंगोत्री हाईवे पर सफर के बाद दो किमी की पैदल दूरी नापकर यात्रियों को गंगा के शीतकालीन पड़ाव मुखबा तक पहुंचना पड़ेगा।

गंगोत्री हाईवे की स्थिति भी बेहद खराब बनी हुई है। उत्तरकाशी जिले की सीमा में प्रवेश करते ही चिन्यालीसौड़ से लेकर गंगोत्री तक करीब डेढ़ सौ किलोमीटर का हिस्सा आवाजाही के लिहाज से बेहद खतरनाक बना है। धराली तक गंगोत्री हाईवे में धरासू, नालूपाणी, सिंगोट, बंदरकोट, मातली, बढ़ेथी, गंगोरी, नेताला, औंगी, सिलकुरा, विशनपुर, लाटा, मल्ला, भटवाड़ी, चढ़ेथी, गंगनानी, सुक्की, डबराणी समेत कई अन्य दरकते डेंजर जोन है। हर्षिल से मुखबा तक बीते साल बने मोटर मार्ग पर आवाजाही फिलहाल भी संभव नहीं है।

पगडंडीनुमा इस मोटर मार्ग में आवाजाही जान पर भारी पड़ सकती है। वहीं मुखबा में फिलहाल यात्रियों के ठहरने के लिए कोई व्यवस्था भी नहीं है। लिहाजा मुखबा पैदल जाना और फिर रात गुजारने को वापिस धराली, हर्षिल लौटना पड़ेगा। इस पूरे क्षेत्र में संचार व्यवस्था भी बेहद बुरे हाल में है। मुखबा गांव में बीएसएनएल समेत अन्य नेटवर्क बेहद कमजोर है। पूरी गंगा घाटी का बुरा हाल है। यात्रा पड़ावों में बने स्वास्थ्य केंद्रों में भी डॉक्टर तैनात ना होने से आपातकालीन स्थिति में यात्रियों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। भटवाड़ी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बाद हर्षिल में ही स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर तैनात है।

इस बीच स्थित सब सेंटरों में प्राथमिक उपचार तक की सुविधा नहीं है।

बर्फबारी बनेगी मुसीबत -

भागीरथी घाटी में दिसंबर पहले सप्ताह से ही बर्फबारी शुरू हो जाती है। ऐसे में यात्रा पर आने वाले यात्रियों को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। पूरे क्षेत्र में कई हिमनद हाईवे की राह रोक सकते हैं। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि बर्फबारी के लिहाज से खतरनाक हिस्सों में बीआरओ को हर वक्त डोजर के साथ मुस्तैद रहने के निर्देश दिए गए है। अन्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए संबंधित विभागों ने काम शुरू किया है। शीतकाल यात्रा को लेकर प्रशासन पूरी तरह से तैयार है।


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