Move to Jagran APP

अंधकार छा जाने से सारे जगत में अंधेरा हो गया

सूझ-बूझ और शक्ति के माध्यम से बड़े से बड़ा कार्य संपन्न किया जा सकता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 01 Feb 2017 03:20 PM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 03:25 PM (IST)
अंधकार छा जाने से सारे जगत में अंधेरा हो गया
अंधकार छा जाने से सारे जगत में अंधेरा हो गया

ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार, एक बार भोले शंकर ने माली और सुमाली को मारने वाले सूर्य पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया। इससे सूर्य की चेतना नष्ट हो गई। वे तुरंत रथ से नीचे गिर पड़े। जब कश्यप मुनि ने देखा कि उनके पुत्र का जीवन खतरे में है, तब वे उन्हें छाती से लगाकर विलाप करने लगे। उस समय सारे देवताओं में हाहाकार मच गया। वे सभी भयभीत होकर जोर-जोर से रुदन करने लगे।

loksabha election banner

अंधकार छा जाने से सारे जगत में अंधेरा हो गया। तब ब्रह्मा के पौत्र तपस्वी कश्यप ने शिवजी को श्राप दिया और बोले तुम्हारे प्रहार के कारण जैसा मेरे पुत्र का हाल हो रहा है, ठीक वैसा ही तुम्हारे पुत्र का भी होगा। यह सुनकर भोलेनाथ का क्रोध शांत हो गया। उन्होंने सूर्य को फिर से जीवित कर दिया। जब उन्हें कश्यपजी के श्राप के बारे में पता चला, तो उन्होंने सभी का त्याग करने का निर्णय लिया।

यह सुनकर देवताओं की प्रेरणा से भगवान ब्रह्मा सूर्य के पास पहुंचे और उन्हें उनके काम पर नियुक्त किया।ब्रह्मा, शिव और कश्यप सूर्य को आशीर्वाद देकर अपने-अपने भवन चले गए। इधर सूर्य भी अपनी राशि पर आरूढ़ हुए। इसके बाद माली और सुमाली भी भयंकर शारीरिक कष्ट से जूझने लगे। इससे उनका प्रभाव नष्ट हो गया। तब स्वयं ब्रह्मा ने उन दोनों से कहा-सूर्य के कोप से तुम दोनों का तेज खत्म हो गया है। तुम सूर्य की आराधना करो। उन दोनों ने सूर्य की आराधना शुरू की और फिर से निरोगी हो गए।

कथा सार : सूझ-बूझ और शक्ति के माध्यम से बड़े से बड़ा कार्य संपन्न किया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.