शुरू हो रहा है मार्गशीर्ष संक्रांति का पुण्यकाल जानें क्या है महत्व
16 नवंबर को हिंदी महीनों के अनुसार मार्गशीर्ष माह की संक्रांति का पुण्यकाल पड़ रहा है। आइये जानें इसके अर्थ और महत्व के बारे में।
हर माह पड़ती है संक्राति
साल के हर हिंदी महीने में संक्राति पड़ती है यानि कुल 12 संक्राति होती हैं। इस अवसर को पूजापाठ दान पुण्य के लिए सर्वोत्म माना जाता है और विधि विधान के लिए सर्वश्रेष्ठ अवधि को पुण्यकाल कहते हैं।
मार्गशीर्ष की संक्राति का पुण्यकाल
इस बार 16 नवंबर को मार्गशीर्ष माह की संक्रांति का विशेष पुण्यकाल होगा। इस दिन एक महीने से चल रहा आकाशीय दीपदान पूर्ण हो जायेगा। पंडित विजय त्रिपाठी के अनुसार इस दिन नर्मदा नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है। हालांकि उनका कहना है कि जो लोग नर्मदा में स्नान नहीं कर सकते वे गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य कमा सकते हैं। इसके साथ ही हेमंत ऋतु का शुभारंभ भी हो जायेगा।
मुहूर्त और महत्व
16 नवंबर को ये पुण्यकाल अपराहन 16 बज कर 11 मिनट से लेकर सूर्यास्त तक रहेगा। इस अवसर पर आकाश दीपदान और वस्त्र दान का विशेष महत्व होता है। पंडित विजय त्रिपाठी बताते हैं कि यदि संक्रांति 12 बजे के बाद प्रारंभ होती है तो पुण्यकाल अगले दिन तक माना जाता है। इस अवसर पर शुरू हुई हेमंत ऋतु अब 14 जनवरी तक रहेगी।