Move to Jagran APP

क्या भगवान पद्मनाभ के मंदिर में ऐसा कुछ भी होता है

नई दिल्ली। ओह माई गॉड। जब एक लाख करोड़ के खजाने के मालिक केरल के भगवान पद्मनाभ के मंदिर की गंदगी और अव्यवस्था का आंखो देखा हाल सामने आता है तो यही शब्द मुंह से निकलता है। बुधवार को न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यम ने मंदिर में फैली गंदगी और अव्यवस्था के साथ खजाने की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा

By Edited By: Published: Thu, 24 Apr 2014 11:48 AM (IST)Updated: Thu, 24 Apr 2014 03:45 PM (IST)
क्या भगवान पद्मनाभ के मंदिर में ऐसा कुछ भी होता है

नई दिल्ली। ओह माई गॉड। जब एक लाख करोड़ के खजाने के मालिक केरल के भगवान पद्मनाभ के मंदिर की गंदगी और अव्यवस्था का आंखो देखा हाल सामने आता है तो यही शब्द मुंह से निकलता है। बुधवार को न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यम ने मंदिर में फैली गंदगी और अव्यवस्था के साथ खजाने की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गहरी चिंता जताई।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान एक तिजोरी खुली पाई गई है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि सुप्रीम कोर्ट तिजोरियों की चाभियां जिला जज के पास रखने का आदेश दे, ताकि कोई उससे कीमती सामान न चुराने पाए। कोर्ट ने स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि मामले में तत्काल कुछ करने की जरूरत है।

बुधवार को न्यायमूर्ति आरएम लोढा और एके पटनायक की पीठ ने मंदिर का 35 दिन का दौरा कर लौटे न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यम की रिपोर्ट पर कहा कि मामला गंभीर है और तत्काल कुछ करने की जरूरत है। तभी सुब्रमण्यम ने हालात का आंखों देखा हाल बयां करते हुए कहा कि मंदिर में दो और तिजोरियां मिली हैं जिन्हें जी और एच नाम दिया गया है। निरीक्षण के दौरान एक तिजोरी का बक्सा खुला पाया गया। उससे आसानी से कुछ निकाला जा सकता है। लिहाजा, तिजोरियों की चाभियां जिला जज या किसी न्यायिक अधिकारी के पास रखी जानी चाहिए और सिर्फ उत्सव के दौरान सामान निकालने के लिए ही ताले खोले जाने चाहिए।

मंदिर में एक गोल्डप्लेटिंग मशीन पाई गई है, जो नारंगी रंग के प्लास्टिक से ढकी थी। इतना ही नहीं मंदिर के दानपात्र में चढ़ने वाले सोने, चांदी का कोई ऑडिट नहीं होता। पद्मनाभ मंदिर में दानपात्र 45 दिन में खोला जाता है। उन्होंने कोर्ट से हर तीसरे दिन दानपात्र खोलकर दान का ऑडिट कराने का आदेश देने की मांग की। सुब्रमण्यम ने बताया कि गर्भ गृह की हालत ठीक नहीं है। वहां आठ साल से पेंट नहीं हुआ है। भगवान की मूर्ति को ठीक करने की जरूरत है। प्रसाद बनाने वाले बर्तन में छेद हैं। प्रसाद बनाने से पहले केले के पेस्ट से छेद भरे जाते हैं। भगवान को चढ़ाए जाने वाले भोग का प्रसाद नही बांटा जाता। टीन के डिब्बों में बाहर से आई सामग्री को प्रसाद कहकर बांटा जाता है। इसे रोका जाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.