हमें ईश्वर भक्ति से जुड़े रहना चाहिए
यदि आपने भगवान श्रीकृष्ण भगवान श्री राम का नाम मुख में स्थापित किया है तो ईश्वर आपकी रक्षा हर जगह करता है। भगवान का भक्त पाखंडी से भी बच जाता है। यह बात पंडित अजय पुरोहित ने ब्ल्यू बर्ड स्कूल में श्रीमद् भागवत कथा के छठवे दिवस कही।
सीहोर। यदि आपने भगवान श्रीकृष्ण भगवान श्री राम का नाम मुख में स्थापित किया है तो ईश्वर आपकी रक्षा हर जगह करता है। भगवान का भक्त पाखंडी से भी बच जाता है। यह बात पंडित अजय पुरोहित ने श्रीमद् भागवत कथा के दिवस कही। पंडित अजय पुरोहित ने कहा कि जो भगवान की सेवा करता है उससे जुड़ा रहता है भगवान उसे पांखडियों से भी बचा लेता है। इसलिए हमें ईश्वर भक्ति से जुड़े रहना चाहिए।
आपके मुख की शोभा आपका चेहरा नहीं है बल्कि उस पर स्थापित रहने वाला भगवान श्रीकृष्ण और श्री राम का नाम है। हमें परमात्मा के लिए पूर्ण समपर्ण करना चाहिए आधे अधूरे समपर्ण में हमारा उद्घार होना संभव नहीं है। सब से छुपा सकते हैं पाप पंडित अजय पुरोहित ने कहा कि आप अपने जीवन में किए गए पापों को सब से छुपा सकते हैं पर भगवान से यह पाप कभी छुप नहीं सकते है। आप पाप करते समय कभी यह मत समझ लेना कि यह छुपा रह जाएगा। हकीकत तो यह है की प्राणी द्वारा किया गया चाहे इस जन्म में सामने आए या फिर अगले जन्म में सामने आए वो सामने आकर रहता है। इसलिए हमें अपने कार्य को सोच समझ कर करने की आदत विकसित करनी होगी।
अजय पुरोहित ने कहा कि मनुष्य ने अपने कार्यों से सबको पीछे छोड़ दिया है, कामकला में कुत्ते को, नकल उतारने में बंदर को और चतुराई में लोमड़ी को पीछे कर दिया है। शांति से रहने के लिए हमें इन चीजों पर नियंत्रण की जरुरत है और यह नियंत्रण की कला आप प्रभु से जुड़कर सीख पाएंगें। उन्होंने कहा कि आजकल देखने में आता है कि लोग अपने पड़ोसियों की खुशी से जलने में ही जीवन व्यतीत कर रहे है। दूसरों के सुख से ईष्या करने से बड़ा कोई पाप नहीं है। हमें प्रभुभक्ति मार्ग पर चलते हुए अपने कर्म करना चाहिए तभी हमारा जीवन भी तरक्की के रास्ते पर अग्रसर होगा। फिर बीच का समय क्यों? पंडित अजय पुरोहित ने कहा कि हमारा बचपन और बुढ़ापा ईश्वर भक्ति से जुड़ जाता है या जोड़ दिया जाता है तो बीच का समय जवानी क्यों जुड़ नहीं सकता। यह विचारणीय प्रश्न है इस पर ध्यान दिया जाना जरुरी है। इसी काल में हम अपने जीवन की बहुत बड़ी गलतियां कर बैठते हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि जब हमें बुढ़ापे में ईश्वर भक्ति करनी ही है तो बीच जवानी के समय पर क्यों नहीं करें यदि आप जवानी के समय पर ही भक्ति का मार्ग अपना लेंगे तो बुढ़ापा और भी आनंद दायक स्थिति से गुजरेगा।