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नदियों से फूट सकती हैं प्रलय की लहरें

भूकंप का झटका जलप्रलय का भी कारण बन सकता है। जोन चार में शुमार मेरठ समेत देश की दर्जनभर शहर नदियों में समा सकते हैं। वैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप की वजह से नदियों पर धारा बदलने का खतरा है। नदियों के बेसिन क्षेत्र में नीचे की मिट्टी नाजुक एवं

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 04:33 PM (IST)
नदियों से फूट सकती हैं प्रलय की लहरें

मेरठ। भूकंप का झटका जलप्रलय का भी कारण बन सकता है। जोन चार में शुमार मेरठ समेत देश की दर्जनभर शहर नदियों में समा सकते हैं। वैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप की वजह से नदियों पर धारा बदलने का खतरा है। नदियों के बेसिन क्षेत्र में नीचे की मिट्टी नाजुक एवं रेतीली जमीन से पानी का सैलाब फूट सकता है।

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एनसीआर क्षेत्र में 50 वर्ष में भयावह भूकंप के संकेत हैं। रेतीली जमीन के बीच से अगर पृथ्वी की ऊर्जा निकली तो वह तबाही का कारण बनेगी। नदियों की बेसिन में बसे शहर जलमग्न हो सकते हैं। भूगर्भशास्त्र के मुताबिक उत्तर प्रदेश गंगा के मैदान में बसा हुआ है। यह चार शेल्फ एरिया में बंटा है। सभी चार शेल्फ एरिया एक दूसरे से उभारों के साथ मिले हुए हैं। इनमें होने वाली कोई भी हलचल क्षेत्र में बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। इंडियन प्लेट धीरे-धीरे यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही हैं, जिससे हिमालय हर वर्ष पांच मिमी उठ रहा है। पृथ्वी के अंदर टकराने वाली प्लेटों की मोटाई पचास से सौ किमी तक आंकी गई है, जिनके आपस में टकराने की वजह से भारी पैमाने पर ऊर्जा रिलीज होती है। यही ऊर्जा जिस भी क्षेत्र से निकलेगी, वहां भयावह नुकसान होगा। अगर यह क्षेत्र बेसिन हुआ तो नदियां धाराएं बदलकर शहरों में घुस जाएंगी। नदियों की रेतीली जमीन से पानी फटकर ऊपर आ सकता है।

बनारस हिन्दू विवि, इलाहाबाद विवि एवं आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली, श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, मेरठ, जालंधर, बरेली, बनारस एवं कानपुर जैसे शहर जलप्रलय की भेंट चढ़ सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ और भुज की स्थितियों में जबरदस्त समानता है। भुज साबरमती की बेसिन में होने की वजह से उसके नीचे की मिट्टी अत्यंत मुलायम है। इसी प्रकार मेरठ समेत पश्चिमी उप्र -गंगा जमुना की बेसिन में है,और यहां भी जमीन के नीचे की मिट्टी बेहद मुलायम है। उच्च तीव्रता का भूकंप आने की स्थिति में नीचे की नाजुक मिट्टी खिसक जाएगी, और जमीन के अंदर का जलभंडार पूरी तरह ऊपर आ जाएगा। इसमें बड़े पैमाने पर मानव आबादी भी जमीन में समा सकती है।


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