महाकाल के शीश पर 11 मिट्टी के कलशों से प्रवाहित की जा रही अविरल जलधारा
सिंहस्थ के दौरान भगवान महाकाल के शीश पर विभिन्न नदियों के नाम लिखे 11 मिट्टी के कलश से अविरल जलधारा प्रवाहित की जा रही है।
उज्जैन। वैशाख कृष्ण प्रतिपदा पर शनिवार को तड़के भस्मारती के बाद पुजारियों ने गलंतिका बांधी। भगवान महाकाल के शीश पर गंगा, सिंधु, कावेरी, शिप्रा, नर्मदा, गोदावरी, सरयू, यमुना, चरणवति आदि नदियों के नाम लिखे 11 मिट्टी के कलश से अविरल जलधारा प्रवाहित की जा रही है। पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तक पूरे दो माह प्रतिदिन भस्मारती के बाद से शाम को संध्या पूजन तक गलंतिका बंधने का क्रम जारी रहेगा।
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ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार ज्येष्ठ मास भगवान शिव तथा श्रीकृष्ण की आराधना के लिए विशेष है। इस पुण्यप्रद मास में जहां शिवालयों में गलंतिका बंधेगी। वहीं, कृष्ण मंदिरों में भगवान को चंदन का लेपन किया जाएगा। शुक्ल पक्ष में पुष्टिमार्गीय वैष्णव मंदिरों में भगवान की दिनचर्या बदल जाएगी। ठाकुरजी के सामने ठंड के लिए फव्वारे लगेंगे। साथ ही शीतल पकवानों का भोग लगेगा। श्रृंगार में सोने की जगह मोती के आभूषणों का उपयोग होगा। इस महीने में अनेक व्रत व त्योहार भी आएंगे।
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वैशाख के प्रमुख व्रत-त्योहार
- 1 मई- वैशाख कृष्ण नवमी-दशमी पंचक्रोशी यात्रा शुरू
- 3 मई-वल्लभाचार्य जयंती
- 4 मई-प्रदोष व्रत
- 6 मई-वैशाख अमावस्या पंचक्रोशी यात्रा का समापन
- 8 मई-परशुराम जयंती
- 9 मई-आखातीज
- 11मई-आदिशंकराचार्य जयंती
- 12 मई-रामानुजाचार्य जयंती
- 17 मई-मोहिनी एकादशी
- 19 मई-प्रदोष व्रत
- 21 मई-वैशाख पूर्णिमा सिंहस्थ महापर्व का समापन