इस तरह वास्तुदोष पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा, घर में खुशी व भौतिक समृद्धि होगी
ईशान कोण हमेशा साफ-सुथरा खुला,स्वच्छ और पवित्र हो। इस हिस्से में कोई भारी या अपवित्र वस्तु न रखें। घर में प्रसन्नता के साथ भौतिक समृद्धि और वृद्धि होती है…
प्राचीन भारतीय वास्तु शास्त्र भी धनी बनाने में सहायक हो सकता है। इसके लिए कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। घर अथवा व्यापार स्थल में पूजा स्थान सदैव उत्तर -पूर्व अर्थात ईशान कोण में होना चाहिए। ईशान कोण हमेशा साफ-सुथरा खुला,स्वच्छ और पवित्र हो। इस हिस्से में कोई भारी या अपवित्र वस्तु न रखें।
इसी दिशा में पानी का फव्वारा, फूलों वाले पौधे अथवा सुंदर गुलदस्ते रखने से घर में प्रसन्नता के साथ भौतिक समृद्धि और वृद्धि होती है। दुकान अथवा शो रूम में इस दिशा को छोड़ कर किसी भी दिशा में डिस्प्ले वोर्ड लगाना चाहिए। तिजोरी, गल्ला, कैश-बॉक्स लॉकर अथवा अलमारी सदैव दक्षिण दिशा में इस प्रकार रखें कि उसका मुंह उत्तर की ओर खुले। इससे धन संग्रह में वृद्धि होती है। धन रखने के स्थान पर अथवा तिजोरी में सदैव पांच कौड़ी, शुद्ध चांदी का लक्ष्मी-गणेश अथवा श्रीयंत्र का सिक्का रखना चाहिए। घर अथवा व्यापार स्थल में जितनी ही कांच अथवा क्रिस्टल की वस्तुएं रखेंगे उतनी ही अप्रत्याशित सफलता मिलेगी। दुकान खोलने से पहले मुख्य द्वार पर दोनों ओर गंगाजल डालें। इससे ग्राहकों का आना बढ़ेगा। दरवाजों के कब्जों में तेल डालते रहें अन्यथा दरवाजा खोलते या बंद करते समय आवाज करते हैं, जो वास्तु के अनुसार अत्यंत अशुभ तथा अनिष्टकारी होता है। घर में विद्युत संबंधी उपकरण जो कर्कश ध्वनि उत्पन्न करते हों जैसे पंखे, कूलर आदि की समय-समय पर मरम्मत करवाते रहें। अगर भवन में जल प्रवाह ठीक न हो या पानी की सप्लाई सही दिशा से न हो तो उत्तर-पूर्व दिशा से यानी ईशान कोण से भूमिगत जल की टंकी का निर्माण कर उसी से भवन में जल की आपूर्ति करें। ऐसा करने से यह वास्तुदोष समाप्त हो जाएगा तथा जल की गलत दिशा से सप्लाई भी बंद हो जाएगी। घर का अग्र भाग ऊंचा तथा पृष्ठ भाग नीचा हो तो निचले भाग में डिश एंटीना, टीवी एंटीना आदि को अगले भाग से ऊंचा कर लगा दें। इस प्रकार यह वास्तुदोष पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा।
यदि घर का पूर्व एवं आग्नेय निचले हों और वायव्य तथा पश्चिम ऊंचे हों तो प्लाट के स्वामी को लड़ाई-झगड़े, विवाद के कारण मानसिक यातना सहनी पड़ती है। घर का वायव्य कोण निचला होने पर भी शत्रुओं की संख्या बढ़ती है। अगर किसी घर का दक्षिण और आग्नेय निचला हो, वायव्य और उत्तर ऊंचे हों तो घर का मालिक कर्ज और बीमारी के कारण मानसिक तनाव में रहता है। जिस घर का नैऋत्य और दक्षिण निचला होता है और उत्तर और ईशान ऊंचा होता है तो ऐसे घरों के मालिक को अपवित्र कार्य करने और व्यसनों का दास बनने से मानसिक अशांति रहती है और परिवार के लोग भी तनाव में रहते है। यदि आपकी दो मंजिला मकान बनवाने की योजना है, तो पूर्व एवं उत्तर दिशा की ओर भवन की ऊंचाई कम रखें। इस बात का ध्यान रखें कि भवन में उत्तर-पूर्व दिशा में ही दरवाजे व खिड़कियां सर्वाधिक संख्या में होने चाहिए। कपूर और रोली को जला लें । इस राख को गल्ले में रखें, व्यापार बढ़ेगा। घर में कम से कम वर्ष में दो बार हवन में यज्ञ करवाएं।