यूं ही नहीं कहा जाता शहर बनारस..
स्वर लहरियां गूंजीं, घंटे-घड़ियाल भी बजे। एक ओर अजान हुई तो दूसरी ओर सुबह-ए-बनारस की आरती। संस्कारों की नींव पर सुबह हुई मंगलवार की। न कहीं डर था, न खौफ। देखो, यूं ही मैं बनारस नहीं कहलाता। मुङो फर्क नहीं पड़ता कि तुमने मेरी छाती कितनी रौंदी। गर्म सलाखों से
वाराणसी । स्वर लहरियां गूंजीं, घंटे-घड़ियाल भी बजे। एक ओर अजान हुई तो दूसरी ओर सुबह-ए-बनारस की आरती। संस्कारों की नींव पर सुबह हुई मंगलवार की। न कहीं डर था, न खौफ। देखो, यूं ही मैं बनारस नहीं कहलाता। मुङो फर्क नहीं पड़ता कि तुमने मेरी छाती कितनी रौंदी। गर्म सलाखों से उसे कितनी जगह जलाया। मेरी मस्ती ही मेरा मरहम है और सूर्य की पहली किरण के पहले ही मैं फिर उठ के खड़ा हो जाता हूं।
हां, पथराव, आगजनी, लाठियों की बरसात, जो कुछ भी हुआ सोमवार को मेरे आंगन में उसका बड़ा अफसोस रह जाएगा। उन महिलाओं का रुदन-उत्साह भी नहीं भूलेगा, जिन्होंने एक दिन पहले से भूखे-प्यासे रहकर अपने बच्चों के लिए जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा था और बलवे में फंसकर भी अपना जज्बा नहीं खोया। याद रहेगा कि अचानक कुछ अनजान चेहरे मुङो इस तरफ फूंकते हैं कि कफ्यरू की नौबत आ जाती है।
मैंने औरंगजेब को ङोला है। डलहौजी से लिए वारेन हेस्टिंग तक का सामना किया है। इतिहास गवाह है कि इनमें से कोई मुङो हिला नहीं पाया। सबके पांव उसी तरह उखड़े जिस तरह मंगलवार को भय के बादल को चीरता हुआ निर्भयता का सवेरा सामने आया। तड़के ही गंगा स्नान के लिए टोलियां निकलीं। उन्होंने रोज की तरह काल भैरव, बाबा विश्वनाथ और संकट मोचन दरबार में अपनी हाजिरी लगाई। उस झुकी हुई कमर वाले वृद्ध का विश्वास भी नहीं डगमगाया था, जो आज फिर मस्जिद में गया और सुबह की अजान दी।
मोहल्लों के गली-कोने भी ठीक रोज की तरह आबाद थे। सुबह के साथ ही गमछा लपेटे, गंजी पहने छाती तानकर चट्टी-चौमाहनियों, अड़ी और बाजारों पर लोग बलवाइयों को कोस रहे थे। ये ठेठ बनारसी थे। सोमवार को भी 75 पार कर चुके मेरे सैकड़ों रक्षक नाती-पोतियों का हाथ पकड़े भाव विह्वल हो मां गंगा की ओर बढ़ रहे थे। वे धर्मो रक्षति रक्षत: का कठिन श्लोक भले न जानते हों लेकिन उन्हें पता है कि वे अगर अपने धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म उनकी रक्षा करेगा। नाती-पोतों को भी पता था कि जान भले चली जाए, बाबा को कुछ नहीं होने देना है। जिस संस्कार से वे बंधे हैं, उन्हें किसी की ओछी धमकियां और निम्न कर्म तोड़ नहीं सकते।