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वास्तुदोष निवारण के लिये फ़ेंगशूई की निम्न वस्तुओ का प्रयोग लाभदायक है

हिन्दु संस्कृति के तीन शुभ और प्रेरणादायी प्रतीक है। जो आत्मविश्वास और एकाग्रता बढाने का कार्य करते है। सूर्या उर्जा के गोले में मध्यभाग में यह प्रतीक रखे जाते है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 14 Apr 2017 12:09 PM (IST)Updated: Sat, 15 Apr 2017 10:02 AM (IST)
वास्तुदोष निवारण के लिये फ़ेंगशूई की निम्न वस्तुओ का प्रयोग लाभदायक है
वास्तुदोष निवारण के लिये फ़ेंगशूई की निम्न वस्तुओ का प्रयोग लाभदायक है

वास्तुदोष निवारण के लिये फ़ेंगशूई की निम्न वस्तुओ का प्रयोग लाभदायक है। वास्तुशास्त्र या फ़ेंगशूई वायु और पानी पर आधारित इस वास्तुकला में वस्तुओ की सही जमावट पर ध्यान दिया जाता है यह विध्या बौद्ध धर्म की देन है जो मुलभूत तो भारतीय स्थापत्य कला का ही आधार है पाकृतिक तत्व जैसे की पानी,अग्नि,भूमि,धातु और लकडी के पांच तत्वो का संतुलित उपयोग कर के भवन निर्माण किया जाता है भारतीय संस्कृति इसी पंचमहाभूत अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश तत्वो पर रची हुई है

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 क्रिस्टल बोल : बिना रंगवाले पारदर्शक स्फ़टिक के गोले को क्रिस्टल बोल कहा जाता है इस प्रकार का क्रिस्टल बोल घर​, ओफ़िस​, दुकान के स्थान पर जहा अशुभ उर्जा यानी वास्तुदोष हो ऐसी जगह पर अथवा जहा उर्जा की अधिक जरुरत हो ऐसी जगह पर लटकाया जाता है जिससे इस गोले में से प्रकाश का परावर्तन हो के अशुभ उर्जा दूर हो जाती है और उस जगह पर शुभ उर्जा का आवारण होता है

घंटी : ओफ़िस के दरवाजे में या घर में मधुर और कर्णप्रिय आवाजवाली घंटीया सकारात्मक ध्वनि उत्पन्न करती है जिसे शुभ माना जाता है जब प्रवेशद्वार जरुरत से अधिक बडा हो तब नकारात्मक उर्जाओ का प्रवेश होने से वातावरण बिगड जाता है और वास्तुदोष उत्पन्न होता है जिसके निवारण के लिए इस तरह की घंटियों का उपयोग किया जाता है

पैड​-पौधे : पैड​-पौधे सजीव सृष्टि की जीवंत उर्जा है। पैड​-पौधे अशुभ उर्जाओ को संतुलित कर के उसे शुभ उर्जा में बदल देता है पैड​-पौधे व्यक्ति के आनंद और उत्साह को बढाने का काम करते है और उसकी उन्नति में सहायक होते है। साथ ही आरोग्य और तंदुरस्ती भी बढाते है प्रवेशद्वार के सामने पैड हो तो उसे भी दोषकारक माना जाता है परंतु उसके समांतर ही दूसरा पैड हो तो वह दोषकारक नही है

दूधवाले, सुखे हुये, जले हुये, कांटेवाले पैड घर आंगन में रखने नही चाहिये घर आंगन में तुलसी, मनीवेल​, सुगंधित पुष्पोवाले पौधे लगाने से मानसिक शांति प्राप्त होती है

मछली घर : भारतीय संस्कृति में मछलियों को भी पवित्र माना गया है बौद्ध धर्म में मछलियों को समुद्र देव का प्रतीक माना गया है मछलियों की अनेक जाती होती है वह कुदरती सौंदर्य में बढावा करती है प्राणवायु और जल उर्जा का समन्वय कर के मछली घर की प्रकृति को जींवत स्वरुप देती है इसलिए मछली घर का प्रयोग वास्तुदोष निवारण के लिए किया जाता है

तीन पेरोवाला मेंढ़क​ : चाईनीज वास्तु में तीन पेरोवाले मेंढ़क​ को आर्थिक समृद्धि का प्रतिक माना जाता है। यह मेंढ़क​ अष्टकोण आकार के आसन पर जमीन से थोडी उंचाई पर और केशबोक्स के पास अथवा शुभ जगह पर रखा जाता है मेंढ़क​ के मुख में असली सिक्का रखा जाता है। इस मेंढ़क​ को प्रवेशद्वार के सन्मुख ना रखे

त्रिशूल ​- ॐ - स्वस्तिक : हिन्दु संस्कृति के यह तीन शुभ और प्रेरणादायी प्रतीक है। जो आत्मविश्वास और एकाग्रता बढाने का कार्य करते है सूर्या उर्जा के गोले में मध्यभाग में यह प्रतीक रखे जाते है शिव और शक्ति की जीवंत उर्जा स्त्रोत के उसमें दर्शन होते है श्रद्धा और विश्वास के साथ दर्शन करने से व्यक्ति की प्रगति होती हैवास्तुदोष निवारण में इस का उपयोग करने से आसुरी शक्तियां दूर रहती है


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