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सही शिक्षा घर से ही मिलती है

संत विनोबा भावे की माता का नाम रखुनाई और पिता का नाम नरहरि भावे था। नरहरि भावे हमेशा जरूरतमंद लोगों की सहायता करते थे। वे अमूमन एक या दो विदार्थी हमेशा अपने साथ रखते थे। उनके खान-पान का वो विशेष ध्यान रखते थे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2016 11:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2016 11:07 AM (IST)
सही शिक्षा घर से ही मिलती है

संत विनोबा भावे की माता का नाम रखुनाई और पिता का नाम नरहरि भावे था। नरहरि भावे हमेशा जरूरतमंद लोगों की सहायता करते थे। वे अमूमन एक या दो विदार्थी हमेशा अपने साथ रखते थे। उनके खान-पान का वो विशेष ध्यान रखते थे।

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यदि खाना बच जाता तो स्वयं वो खाना खाते लेकिन उन बच्चों को ताजा खाना बनाकर खिलाते हैं। विनोबा जी यह सब देखते रहते। एक दिन उन्होंने अपनी मां से पूछा, 'मां आप कहती हैं सभी में भगवान का वास रहता है, तो आप मुझे ठंडी और उन्हें गर्म रोटियां खाने के लिए क्यों देती हैं।'

मां ने कहा, 'बेटा! मैं यह इसलिए करती हूं कि मेरा मोह अभी नहीं गया है विनोबा में मुझे मेरा बेटा दिखता है। और उन विद्यार्थियों में परमात्मा। जिस दिन तुम मुझे परमात्मा की तरह दिखाई देने लगोगे उस दिन में तुम्हें भी गर्म रोटियां खिलाउंगीं।'

संक्षेप में
विनोबा भावे जी माता-पिता के विचार इतने सात्विक और मार्मिक थे, कि आगे चलकर उनका पुत्र महान व्यक्ति बनकर महापुरुष की श्रेणी में आया। इसलिए बच्चों की सही शिक्षा घर से ही मिलती है।


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