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वक्‍त सुधारने के लिए यहां चढ़ाई जाती है घड़ी

अपना समय बदलने की मन्नत पूरी होने पर एक भक्त ने करीब 14 साल पहले सगस बाऊजी का देवरा में एक घड़ी चढ़ाई थी। उसके बाद से हर साल वहां हजारों भक्त पहुंचने लगे और काम बनने पर घड़ी भेंट करने का सिलसिला चल पड़ा। हालत यह है कि चढ़ावे में

By anand rajEdited By: Published: Sun, 19 Apr 2015 09:48 AM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 09:59 PM (IST)
वक्‍त सुधारने के लिए यहां चढ़ाई जाती है घड़ी

मंदसौर [मध्यप्रदेश], [आलोक शर्मा]। अपना समय बदलने की मन्नत पूरी होने पर एक भक्त ने करीब 14 साल पहले सगस बाऊजी का देवरा में एक घड़ी चढ़ाई थी। उसके बाद से हर साल वहां हजारों भक्त पहुंचने लगे और काम बनने पर घड़ी भेंट करने का सिलसिला चल पड़ा।

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हालत यह है कि चढ़ावे में आई घड़ियों का यहां अंबार लग गया है। यह स्थान अब घड़ी वाले बाऊजी के नाम से ही जाना जाने लगा है। रविवार व चतुर्दशी को काफी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं।

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भगवान के दर पर भक्त श्रद्धानुसार प्रसादी से लेकर धन दौलत तक अर्पित करते हैं, पर मंदसौर जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर धमनार-नगरी मार्ग पर स्थित सगस बाउजी का देवरा की बात बिल्कुल अलग है। यहां भक्त प्रसाद या धन नहीं घड़ियां चढ़ाते हैं। भक्तों का मत है कि ऐसा करने से उनकी जिंदगी भी घड़ी की सुईयों की तरह कदमताल करने लगती है।

हजारों घड़ियां हो गई जमा

पिछले 12 सालों में भक्तों द्वारा चढ़ाई गई तरह-तरह की हजारों घड़ियां यहां जमा हो गई हैं। ये घड़ियां देवरे की दीवारों पर टंगी होने के अलावा आसपास बिखरी पड़ी हैं। यही नहीं पास के पुराने पीपल के तने पर टंगी घड़ियां भी देखी जा सकती हैं। देवरे का ध्यान रखने वाले हर दिन बंद हुई घड़ियां हटा देते हैं बावजूद इसके घड़ियों का जखीरा खत्म होने को नहीं आ रहा है।

दुर्घटनाओं में कमी

70 वर्षीय केसरबाई मेहता के खेत में लंबे समय से सगस बाउजी का स्थान है। उन्हीं के अनुसार नगरी-धमनार मार्ग पर कभी सड़क दुर्घटनाएं भी ज्यादा होती थी। लेकिन जबसे यहां बाउजी की पूजा-पाठ शुरू हुआ, तब से दुर्घटनाओं में कमी आई है।

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सरपंच बनी केसरबाई

वर्षों से देवरे का ध्यान रख रही केसरबाई पूरे धमनार में बुआजी के नाम से पहचानी जाती हैं। वे पिछले पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत की सरपंच बन गई हैं। उनके पुत्र शिवनारायण मेहता और कमलेश पटेल अब देवरे का जीर्णोद्धार करने में जुटे हैं।

दूर-दूर से आते हैं भक्त

हर चतुर्दशी पर यहां आने वाले नगरी के राधेश्याम सेन के अनुसार रविवार को भक्त बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। समीप ही ग्राम धुंधड़का में प्रति रविवार को लगने वाले पशु हाट में भी प्रदेश के इंदौर, धार, बदनावर, रतलाम, उज्जैन, शाजापुर, देवास सहित अनेक जिलों से आने वाले लोग भी इस देवरे पर आते हैं।

[साभार: नई दुनिया]


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