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इस तरह दूर करें मन की हिंसा

सारे युद्ध मन की हिंसा के प्रकटीकरण हैं। इस आदिम प्रवृत्ति को दूर करने का उपाय आध्यात्मिकता के मार्ग परचलना है। माता अमृतानंदमयी का चिंतन...

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 11:27 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 11:44 AM (IST)
इस तरह दूर करें मन की हिंसा

सारे युद्ध मन की हिंसा के प्रकटीकरण हैं। इस आदिम प्रवृत्ति को दूर करने का उपाय आध्यात्मिकता के मार्ग परचलना है। माता अमृतानंदमयी का चिंतन...

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युद्ध और उससे उपजी पीड़ा समाप्त करने के लिए लोग करुणामय बनें तथा आपसी सद्भाव रखें। तत्काल समाधान तो लगभग असंभव है, लेकिन अदम्य इच्छाशक्ति से ऐसा हो सकता है। यह सत्य है कि मन में छिपी

हिंसा ही बाहर संघर्ष एवं युद्ध बनकर प्रकट होती है, पर एक बात याद रखने लायक है कि जैसे हिंसा मानव मन का भाग है, वैसे ही शांति एवं प्रसन्नता भी उसी मन के भाग हैं। यदि लोग वास्तव में चाहें, तो अंदर और बाहर

शांति पा सकते हैं। आखिर लोग मन के हिंसात्मक व आक्रामक पहलू पर ही क्यों जोर देते हैं? वे यह क्यों भूल जाते हैं कि वही मन अनंत करुणा तथा रचनात्मकता की ऊंचाइयां भी पा सकता है। अंतिम निचोड़ यही है कि

सारे युद्ध मन की आंतरिक हिंसा के प्रकटीकरण हैं। इस आदिम प्रवृत्ति के पार जाने का सही मार्ग खोजना

और उस पर अमल करना हिंसा एवं युद्ध की समस्या हल करने का स्वस्थ एवं समुचित तरीका है।

आध्यात्मिकता ही वह मार्ग है, जो हमारी विचार शैली का कायाकल्प करता है और कमजोरियों व सीमाओं से मन को पार ले जाता है। आध्यात्मिकता का लक्ष्य होता है आत्मा से साक्षात्कार। लक्ष्य पाने के लिए आवश्यक है

अंतत: दिशा सूचक शब्दों के पार जाना।


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