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तीन पिंडवेदियां करसिल्ली पहाड़ी पर स्थित हैं

पितृपक्ष मेला महासंगम के 12वें दिन गुरूवार को आदिगया, धौतपद व मुंडपृष्ठा पिंड वेदी पर पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करने का विधान है। परंतु, जितनी संख्या में पिंडदानियों को इन वेदियों पर पिंडदान करने के लिए आना चाहिए था। नहीं पहुंचे। आज के दिन बहुत ही कम

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2015 04:49 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 11:51 AM (IST)
तीन पिंडवेदियां करसिल्ली पहाड़ी पर स्थित हैं

गया। पितृपक्ष मेला महासंगम के 12वें दिन गुरूवार को आदिगया, धौतपद व मुंडपृष्ठा पिंड वेदी पर पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करने का विधान है। परंतु, जितनी संख्या में पिंडदानियों को इन वेदियों पर पिंडदान करने के लिए आना चाहिए था। नहीं पहुंचे। आज के दिन बहुत ही कम संख्या में पिंडदानियों को इन वेदियों पर पिंडदान करते हुए देखा गया। तीनों पिंड वेदियां भगवान विष्णुपद मंदिर के द्वार के ठीक सामने वाली करसिल्ली पहाड़ पर अवस्थित है। शायद इसी के कारण पंडितजी ने पिंडदानियों को वहां जाने से ही मना कर दिया। पिंडदानियो को बता दिया गया कि इन तीन पिंड वेदियों के पास पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं है। पहाड़ काफी उंचा है। वहां पर न ही पानी की सुविधा है और न ही धूप से बचने के लिए पिंडदान लगाया गया है।

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पंडितजी इन वेदियों पर जाकर पिंडदान करने के बजाय देवघाट से पिंडदान करने की सलाह देकर पिंडदान करवा दी। जो पिंडदानी श्रद्ध कर्मकांड कर अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए वहां पहुंचे। उन्हें बहुत ही ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। यहां पर सचमुच में चापाकल तक नहीं थे। दूसरे घरों से पिंडदानियों को पानी लेकर पिंड बनाना पड़ा। जिला प्रशासन की ओर से पिंडदानियों के लिए यहां पर टेंट तक नहीं लगाया गया था। इस कारण से पिंडदानियों को धूप में ही बैठकर पिंडदान करने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा। यहां पर आए पिंडदानी जौ, तिल व खोवा से पिंड बनाकर अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए वेदियों पर अर्पित किया। इन पिंड वेदियों की स्थिति भी काफी खराब थी। जिस कारण से पिंडदानियों के साथ ही पंडितजी को भी परेशानी हुई। पिंडदानी भाग्यवती देवी ने कहा कि यहां पर सुविधाएं बढ़ानी चाहिए। कोई सुविधा नहीं है। स्थानीय निवासी संजय कुमार चंद्रवंशी ने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनधि के साथ ही जिला प्रशासन भी सोयी रहती है। सिर्फ पितृपक्ष मेला के कुछ दिन पहले नींद से जागती है। धौतपद वेदी पर पिंडदान की क्रिया करते पिंडदानी।


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