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तो ऐसे लोगों के लिए हर रात्रि शिवरात्रि होती है

जब हमारे हृदय में ईश्वर के प्रति प्यार जागता है, तो भौतिकवादी विचार कम जाते हैं। शिवरात्रि पर इस दिव्य प्रेम को जगाने पर जोर दे सकते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 09:48 AM (IST)
तो ऐसे लोगों के लिए हर रात्रि शिवरात्रि होती है
तो ऐसे लोगों के लिए हर रात्रि शिवरात्रि होती है

ज्यादातर लोग रात में पेट भर कर भोजन करते हैं और सुख की नींद सोते हैं। केवल कुछ लोग जागे रहते हैं और ईश्वर के स्मरण में डूबे रहते हैं। सच कहा जाए, तो ऐसे लोगों के लिए हर रात्रि शिवरात्रि होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अकेले ईश्वर ही सभी शुभ के मूल में हैं। चूंकि केवल कुछ लोग ही विवेक और वैराग्य के स्तर तक पहुंच पाए हैं, वैसे में शिवरात्रि का उत्सव शेष मानवजाति के लिए व्रत रखने तथा रात में जाग्रत रहने का एक अवसर है- कम से कम एक रात्रि के लिए।

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हम दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि यह हमारे लिए एक वार्षिक अवसर है, जब हम ईश्वर के लिए रात भर जागकर उन शिव के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं, जो वर्ष के 365 दिन जागते रहते हैं और अपने बच्चों की

निगरानी करते रहते हैं। शिवरात्रि हमारी अज्ञानता को दूर करती है। अंधकार कोई वस्तु नहीं है, जिसे हाथ से हटाया जा सके। जब प्रकाश आता है, तब अंधेरा अपने-आप गायब हो जाता है। इसी तरह जब हमारे अंदर आध्यात्मिक जागरूकता का प्रकाश चमकता है, तब अज्ञानता का अंधकार अपने-आप गायब हो जाता है। सूर्य वहां हमेशा होता है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण हम रात-दिन का अनुभव कर पाते हैं। इसी तरह से देवत्व हमारा स्वभाव है। देवत्व की रोशनी हमेशा हमारे साथ होती है। अगर हम धूप में पानी से भरे 100 बर्तन रखते हैं, तो सूरज का प्रतिबिंब हर बर्तन में चमकेगा। ज्ञान के साथ एकता की दृष्टि भी आती है। हम उम्मीद करते हैं कि

दोनों आंखों को बंद करने के बाद एक तीसरी आंख खुल जाएगी। वास्तव में, तीसरी आंख एकता की दृष्टि का प्रतीक है, जो दोनों आंखें खुली रहने पर भी आती है। जिन लोगों को सच का एहसास हो गया है, उनके लिए अंधेरे

का कोई अस्तित्व नहीं है। ‘रात’ का कोई अस्तित्व नहीं है। एकता के अलावा और कोई दूसरी चीज विद्यमान नहीं है। जो व्यक्ति इन सब बातों को समझ लेगा, वह हमेशा समाज कल्याण में लगा रहेगा।

हम तर्क और बुद्धि के माध्यम से कुछ हद तक मन को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन यह केवल प्यार की शक्ति है, जिसमें मन पूरी तरह से समर्पण के लिए तैयार रहता है। जब हमारे हृदय में ईश्वर के प्रति प्यार जागता

है, तो भौतिकवादी विचार कम होना शुरू हो जाते हैं। शिवरात्रि के अवसर पर हम रात भर जागने की बजाय इस दिव्य प्रेम को जगाने पर जोर दे सकते हैं।


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