फिर हुए यमुनोत्री में भूस्खलन, सूर्यकुंड क्षतिग्रस्त
यमुनोत्री धाम के पीछे कालिंदी पर्वत पर एक बार फिर भूस्खलन सक्रिय हो गया। शनिवार शाम पहाड़ से गिरे मलबे से मंदिर परिसर में स्थित गर्म पानी का कुंड सूर्यकुंड के कुछ हिस्से को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा जानकीचट्टी और यमुनोत्री बीच भैरव मंदिर के समीप भूस्खलन से पैदल
उत्तरकाशी। यमुनोत्री धाम के पीछे कालिंदी पर्वत पर एक बार फिर भूस्खलन सक्रिय हो गया। शनिवार शाम पहाड़ से गिरे मलबे से मंदिर परिसर में स्थित गर्म पानी का कुंड सूर्यकुंड के कुछ हिस्से को नुकसान पहुंचा है।
इसके अलावा जानकीचट्टी और यमुनोत्री बीच भैरव मंदिर के समीप भूस्खलन से पैदल मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया। गौरतलब है कि वर्ष 2004 में भी यमुनोत्री में भूस्खलन हुआ था, तब हादसे में छह लोगों की मौत हो गई थी और मंदिर को भी नुकसान पहुंचा था।
अगले माह 21 तारीख को यमुनोत्री धाम के कपाट खोले जाने हैं। यात्रा तैयारियों के मद्देनजर इन दिनों लोक निर्माण विभाग के मजदूर वहां पैदल मार्ग की मरम्मत में जुटे हुए हैं।
बताया जा रहा है कि शाम को अचानक मंदिर के पीछे कालिंदी पहाड़ी दरकने लगी और तेज आवाज के साथ पत्थर लुढ़ककर मंदिर परिसर में गिरे। आवाज से मजदूर डर गए। कुछ देर बाद जब पहाड़ी का दरकना बंद हुआ तो कुछ मजदूर मंदिर के पास पहुंचे। परिसर में मलबे का ढेर पड़ा था और सूर्यकुंड का कुछ हिस्सा पत्थरों से क्षतिगस्त नजर आ रहा था। ये मजदूर फौरन यमुनोत्री से पांच किलोमीटर दूर जानकीचट्टी पहुंचे और वहां स्थित पुलिस चौकी में घटना की सूचना दी। चौकी में मौजूद सिपाहियों ने प्रशासन को इससे अवगत कराया।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी इंदूधर बौड़ाई ने बताया कि बड़कोट के एसडीएम राजकुमार पांडे के नेतृत्व में एक टीम यमुनोत्री रवाना कर दी गई है। यह टीम भूस्खलन से हुए नुकसान का जायजा लेगी। उन्होंने कहा कि मंदिर की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे।
चारधामों ने ओढ़ी बर्फ की चादर- उत्तराखंड में मौसम के करवट बदलने के साथ ही चारधाम समेत चोटियों ने रविवार को बर्फ की चादर ओढ़ ली, जबकि निचले इलाकों में कहीं फुहारें पड़ीं तो कही बौछारें। यह सिलसिला रुकककर दिनभर ही चलता रहा। कुछ जगह ओलावृष्टि भी हुई। कुमाऊं में आकाशीय बिजली की चपेट में आकर एक युवक की मौत हो गई। उधर, मौसम विभाग का कहना है कि सोमवार को भी मौसम के मिजाज में तब्दीली के आसार नहीं हैं।