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देवघर के श्रावणी मेले को राजकीय मेले का दर्जा देने की कवायद

देवघर के विश्व प्रसिद्ध श्रवणी मेले को राजकीय मेले का दर्जा देने की कवायद शुरू हो गई है। देवघर डीसी ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को इस मामले में पत्र लिखा है। पत्र में मेले की विशालता और विश्व प्रसिद्ध ख्याति का हवाला देते हुए उसे राजकीय मेले का

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 19 Feb 2015 12:54 PM (IST)Updated: Thu, 19 Feb 2015 12:55 PM (IST)
देवघर के श्रावणी मेले को राजकीय मेले का दर्जा देने की कवायद

देवघर। देवघर के विश्व प्रसिद्ध श्रवणी मेले को राजकीय मेले का दर्जा देने की कवायद शुरू हो गई है। देवघर डीसी ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को इस मामले में पत्र लिखा है। पत्र में मेले की विशालता और विश्व प्रसिद्ध ख्याति का हवाला देते हुए उसे राजकीय मेले का दर्जा दिये जाने की अपील की गई है। कहा गया है कि श्रावणी मेले को राजकीय दर्जा मिल जाने से जहां मेले की व्यवस्था को और भी सुदृढ़ बनाया जा सकेगा, वहीं देवघर और इसके आसपास के इलाके को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना संभव हो सकेगा। विदित हो कि एक माह तक चलनेवाले इस मेले में देश विदेश के लोग यहां पहुंचते हैं। इसे लेकर कई माह पूर्व तैयारी की जाती है साथ ही विश्व का सबसे लंबे तक चलनेवाला यह मेला है।

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मेले की विशेषता- 15 किलोमीटर की परिधि में एक महीने तक लगता है मेला। संपूर्ण भारत के अलावा नेपाल, भूटान, बंगला देश, श्री लंका आदि देशों से भी पहुंचते हैं श्रद्धालु। जलाभिषेक के लिए लगती है 10 से 15 किलोमीटर लंबी कतार। 12 किलोमीटर तक लगती हैं दुकानें। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, बिहार आदि राज्यों के व्यवसायी करते हैं शिरकत। संपूर्ण मेला अवधि के दौरान देशभर से होता है अति महत्वपूर्ण और विशिष्ट व्यक्तियों का आगमन। 40 स्थानों पर लगाये जाते हैं प्रशासनिक एवं स्वास्थ्य शिविर। जगह-जगह स्थापित होते हैं 20 शय्या वाले अस्थाई अस्पताल। सुरक्षा की दृष्टि से बड़े पैमाने पर दंडाधिकारियों के साथ-साथ प्रतिनियुक्त की जाती हैं एनडीआरएफ व आरएएफ की टुकडिय़ां।

महाशिवरात्रि के अवसर पर नगर स्टेडियम से निकली शिव बारात देर रात बाबा मंदिर प्रांगण पहुंची। इसके बाद ढोल-ढाक के बीच बाबा की चार प्रहर पूजा शुरू हुई। परंपरागत तरीके से बारात निकाली गई। पुजारी विधु झा और आचार्य गुलाब महाराज ने समस्त वैवाहिक अनुष्ठान संपादित कराए। दूध, दही, घी, मधु, शक्कर से स्नान कराने के बाद वस्त्र चढ़ाया गया।

इत्र लगाने के बाद चावल, डाभ चढ़ाकर बाबा को दूल्हा बनाया गया। उनके बगल में विराजमान मां शक्ति के ऊपर विल्व पत्र से सिंदूर अर्पित करने के बाद पूजा संपन्न हुई। चार बार बाबा की पूजा की गई। इस दौरान पुलिस अधीक्षक राकेश बंसल, मंदिर प्रभारी बिंदेश्वरी झा, बबलू श्रृंगारी, दिनेश मिश्र, भक्तिनाथ फलाहारी उपस्थित थे। लक्ष्मी नारायण मंदिर प्रांगण में भजन कार्यक्रम हुआ। प्रख्यात भजन गायक मनोज-अजित ने अपने सुमधुर भजनों से उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।


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