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ईसा पूर्व 12वीं सदी का राज खुलने की संभावना

भारतीय पुरातत्व विभाग ने सारनाथ में ईसा पूर्व तीसरी सदी का इतिहास जानने के लिए बुधवार को एक बार फिर खोदाई शुरू कर दी गई। अब तक ईसा पूर्व तीसरी सदी से लेकर ईसा पूर्व 12वीं सदी तक के इतिहास का साक्ष्य सामने दिखाई दे रहा है। इसकी भी खोदाई की जा चुकी है। अपर महानिदेशक डा. बीआर मणि ने खोदाई का शुभारंभ कु

By Edited By: Published: Thu, 20 Feb 2014 12:08 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2014 12:11 PM (IST)
ईसा पूर्व 12वीं सदी का राज खुलने की संभावना

वाराणसी। भारतीय पुरातत्व विभाग ने सारनाथ में ईसा पूर्व तीसरी सदी का इतिहास जानने के लिए बुधवार को एक बार फिर खोदाई शुरू कर दी गई। अब तक ईसा पूर्व तीसरी सदी से लेकर ईसा पूर्व 12वीं सदी तक के इतिहास का साक्ष्य सामने दिखाई दे रहा है। इसकी भी खोदाई की जा चुकी है।

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अपर महानिदेशक डा. बीआर मणि ने खोदाई का शुभारंभ कुदाल चलाकर किया। उप अधीक्षण अजय श्रीवास्तव ने बताया कि सबसे पहले खोदाई के लिए पुरातात्विक खंडहर परिसर स्थित अशोक स्तंभ से सटे पश्चिम ओर दस बाई दस मीटर वर्गाकार क्षेत्र को चुना गया है। जहां तक आदमी के क्रिया कलाप के साक्ष्य मिलते जाएंगे वहां तक नीचे खोदाई बढ़ती जाएगी। उन्होंने बताया कि अलेक्जेंडर कनिंघम 1835-36, मेजर किट्टो 1851-52, सी हाई 1865, एफओ अर्टिल 1904-05, सर जान मार्शल 1907, एच हरगीब्स 1914-15 और दया राम साहनी की ओर से 1927-32 में खोदाई कराई गई थी।

इसमें सम्राट अशोक तीसरी सदी ईसा पूर्व से लेकर गढ़वाल नरेश गोविंद चंद 12वीं शताब्दी तक के इतिहास के साक्ष्य सामने आए थे। अब इसके भी पूर्व के इतिहास को जानने का प्रयास किया जाएगा।


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