ब्रज की धरा में धार्मिक साहित्य का बड़ा बाजार, पर...
मंदिरों की कतार, धर्म प्रेमी जनता का सैलाब और पग-पग पर होते धार्मिक अनुष्ठान। ब्रज की धरा में धार्मिक साहित्य का बड़ा बाजार है। लेकिन सस्ता धार्मिक साहित्य उपलब्ध कराने वाली गीता प्रेस के बंद होने की चर्चा ने यहां धर्म साहित्य को महंगा कर दिया है।
मथुरा। मंदिरों की कतार, धर्म प्रेमी जनता का सैलाब और पग-पग पर होते धार्मिक अनुष्ठान। ब्रज की धरा में धार्मिक साहित्य का बड़ा बाजार है। लेकिन सस्ता धार्मिक साहित्य उपलब्ध कराने वाली गीता प्रेस के बंद होने की चर्चा ने यहां धर्म साहित्य को महंगा कर दिया है।
जिससे विक्रेता हलकान और खरीदार हैरान हैं। शहर में श्रीकृष्ण जन्मस्थान हो अथवा द्वारिकाधीश मंदिर, सभी जगह गीता प्रेस का धार्मिक साहित्य बेचने वाले दर्जन भर से ज्यादा दुकानदारों की श्रंखला है। इनमें से कई की तो तीसरी पीढ़ी भी धार्मिक साहित्य बेच रही है। इसकी वजह गीता प्रेस की पुस्तकें लोकप्रिय और सस्ता होना है। श्रद्धालुओं को मंदिरों के आसपास पसंदीदा किताबें आसानी से मिल जाती हैं। लिहाजा इन दुकानों से रोजाना सैकड़ों किताबें खरीदी जाती हैं। इनमें गुटका से लेकर वृहद आकार में रामचरित मानस और गीता से लेकर भागवत तक शामिल हैं।
इसके अलावा साधक संजीवनी, नित्य कर्म पूजा प्रकाश और कर्मकांड की पुस्तकें भी हैं। ऐसी ही हजारों धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करने वाली गोरखपुर की गीता प्रेस ने हाल में किताबों पर 20 से लेकर 100 रुपये तक की वृद्धि की है। पहले जो भागवत चार सौ रुपये की थी, उसकी कीमत बढ़कर 450 रुपये हो गई है। रामायण वृहदाकार पहले 500 रुपये में मिलती थी, उसकी कीमत भी बढ़ाकर 600 रुपये कर दी गई है। रामचरित मानस 240 के मुकाबले 270 रुपये, गीता की कीमत भी 50 से बढ़ाकर 60 और नित्य कर्म पूजा प्रकाश की कीमत 45 से 60 रुपये कर दी गई है। बता दें कि गीता प्रेस के साहित्य में उक्त किताबें सबसे ज्यादा बिकती हैं। लिहाजा गीता प्रेस के बंद की चर्चा से इनकी कीमत और आवक दोनों पर असर पड़ा है।
साहित्यकार प्रेमी मथुरिया कहते हैं कि मथुरा-वृंदावन धार्मिक पुस्तकों की बिक्री का प्रमुख गढ़ है। गीता प्रेस सनातन संस्कृति को जीवित रखे हुए है और बिना मुनाफे के हिंदू साहित्य और धार्मिक ग्रंथ प्रकाशित कर रही है, उसे संबल मिलना चाहिए। श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित पूनम पुस्तक प्रतिष्ठान के अंकुर अग्रवाल बताते हैं कि भागवत, गीता, रामायण और रामचरित मानस सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबें हैं। इनकी आवक पर असर पडऩे लगा है।