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चतुर्थी पर पूजे गए गौरी-गणेश

गढ़वासी टोला स्थित मंदिर में रविवार को सिद्ध विनायक का फूलों से भव्य श्रृंगार किया गया। पूजन अनुष्ठान के साथ ही लड्डुओं का भोग लगाया गया। शाम को मार्क डिकोस्की ने भजनों से श्रद्धालुओं को विभोर किया। शूलटंकेश्वर घाट पर निर्मल गंगा के लिए प्रज्ञा पुराण- शांति कुंज हरिद्वार द्वारा निर्मल गंगा जन अभियान के दूसरे चरण

By Edited By: Published: Mon, 20 Jan 2014 04:00 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2014 04:15 PM (IST)
चतुर्थी पर पूजे गए गौरी-गणेश

वाराणसी/वृंदावन। गढ़वासी टोला स्थित मंदिर में रविवार को सिद्ध विनायक का फूलों से भव्य श्रृंगार किया गया। पूजन अनुष्ठान के साथ ही लड्डुओं का भोग लगाया गया। शाम को मार्क डिकोस्की ने भजनों से श्रद्धालुओं को विभोर किया। शूलटंकेश्वर घाट पर निर्मल गंगा के लिए प्रज्ञा पुराण- शांति कुंज हरिद्वार द्वारा निर्मल गंगा जन अभियान के दूसरे चरण में रविवार को शूलटंकेश्वर घाट पर प्रज्ञा पुराण कथा का आयोजन किया गया। कथावाचक प्रदीप कुमार ने गंगा अवतरण प्रसंग पर विस्तार से प्रकाश डाला। लल्लू प्रसाद विश्वकर्मा, संत लाल व रामनिहोर सिंह ने संगीत प्रस्तुत किया। राम अवध यादव ने सपत्‍‌नीक आरती उतारी। रामलखन द्विवेदी, भगवान सिंह यादव, हरिशंकर मौर्य आदि शामिल थे।

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शिव की नगरी में रविवार गौरी और उनके पुत्र गणोश के नाम रहा। माघकृष्ण चतुर्थी पर श्रद्धालुओं ने विघ्नहर्ता का मनाया। दर्शन पूजन किया और चंद्र दर्शन कर अ‌र्घ्य दिया। इससे भी पहले गौरी चतुर्थी के मान अनुसार प्रदोष काल में भगवती की आराधना की। एक ही व्रत से लोगों ने दो पर्वो का पुण्य फल बटोरा। सुबह स्नान ध्यान कर लोगों ने व्रत का श्रीगणेश किया। संतति की मंगल कामना से मंदिरों में भगवान गणेश की पूजा- अर्चना की। महिलाओं ने गुड़-तिल और बेसन के लड्डू बनाए, स्वादिष्ट हलवा पकाए और नाना प्रकार के फलों से टोकरी भरी। पुष्प नैवेद्य से पूजन की थाल सजाई और शाम के बाद ही आसमान की ओर नजरें गड़ा दीं। रात 8. 21 बजे चन्द्रोदय होते ही अ‌र्घ्य दान किया और सर्व विघ्न कल्याण कामना से पूजा आराधना की।

सुबह से रात तक गणपति के मंदिरों में दर्शन के लिए भीड़ उमड़ी रही। लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर में भीड़ का यह हाल कि तिल रखने की जगह नहीं। भोर से शुरू दर्शन पूजन देर रात तक चलता रहा। भीड़ के मद्देनजर कबीरचौरा व मैदागिन से वाहनों का आवागमन रोकना पड़ा।

इससे पहले सायंकाल सूर्यास्त के बाद लगभग 45 मिनट तक के प्रदोष काल में महिलाओं ने सौभाग्य की कामना से देवी गौरी की पूजा आराधना की।

संकट चतुर्थी पर की गणपति गणोश की पूजा-

वृंदावन-संकट चतुर्थी पर्व पर धार्मिक नगरी में श्रीगणेश पूजन को भारी संख्या में महिलाओं की भीड़ उमड़ी। महिलाओं ने व्रत रखकर चंद्रमा को अ‌र्घ्य दिया और गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना कर परिवार के लिए सुख शांति की मनोकामना मांगी। शहर के प्राचीन पंचायती मोटा गणेश मंदिर पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो गयी। भक्तों ने गणपति गणेश की पूजा अर्चना कर तिल के लड्डु का प्रसाद चढ़ाया। सायंकाल चंद्रमा के दर्शन कर अ‌र्घ्य दिया और पूजन कर व्रत खोला। मौसम की मार ने व्रत रखने वाली महिलाओं के हलक सुखा दिये। बरसाती बादलों में छिपे चंद्रमा के दर्शनों को सायंकाल से ही घरों की छत पर चढ़े बच्चे और युवतियों को देखा गया। जैसे ही चंद्रमा के दर्शन हुए गली मुहल्ले में शोरगुल शूरू हो गया। महिलाओं ने चंद्रमा के दर्शन व्रत तोड़ा।

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