देवदर्शन के साथ शुरू हुआ बिस्सू पर्व
खालसा का साजना दिवस बैसाखी पर्व राजधानी में श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर गुरुद्वारों में कीर्तन दरबार सजे और शबद-कीर्तन की छटा बिखरी। गुरुद्वारा धामावाला की ओर से आयोजित कीर्तन दरबार का शुभारंभ भाई रसपाल सिंह ने 'आसा दी वार' के गायन 'गुर के दर्शन देख-देख जीवा' से किया। फिर भाई अवतार सिंह ने श्
देहरादून। खालसा का साजना दिवस बैसाखी पर्व राजधानी में श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर गुरुद्वारों में कीर्तन दरबार सजे और शबद-कीर्तन की छटा बिखरी। गुरुद्वारा धामावाला की ओर से आयोजित कीर्तन दरबार का शुभारंभ भाई रसपाल सिंह ने 'आसा दी वार' के गायन 'गुर के दर्शन देख-देख जीवा' से किया। फिर भाई अवतार सिंह ने शबद 'रहित प्यारी मुझको, सिख प्यारा नहीं' प्रस्तुत किया।
भाई निरंजन सिंह व भाई वीर सिंह ने भी संगतों को निहाल किया, जबकि भाई मदन सिंह व भाई निरवैर सिंह ने अमृत की महिमा पर प्रकाश डाला।
प्राचीन सिमोग मंदिर में शिलगुर, विजट व चूडू देवता और डिमऊ मंदिर में देव पर्व पर्वी पर परशुराम देवता के दर्शन को जनसैलाब उमड़ा। हजारों लोगों ने देव दर्शन करने के साथ ही परिवार की खुशहाली के लिए देव माली-बाकी से प्रश्न लगाए। मंदिर समिति की ओर से भंडारे में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
हर वर्ष बैशाखी पर्व के साथ ही जौनसार बावर क्षेत्र में बिस्सू की संक्त्रात के दिन देव पर्व पर्वी मनाने का रिवाज है। पर्व पर शिलगुर-विजट व परशुराम देवता के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा। कालसी क्षेत्र के प्राचीन मंदिर सिमोग व डिमऊ में सोमवार को जौनसार बावर के अलावा हिमाचल, हरियाणा व उत्तर प्रदेश से आए भक्तों ने माथा टेककर मन्नतें मांगी।
बदहाल मार्ग से दिक्कतें-कोटी डिमऊ डांडा मार्ग से सिमोग मंदिर को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग की हालत खस्ता होने के चलते सैकड़ों वाहन जोखिम लेकर चलते रहे। लोनिवि साहिया की लापरवाही के चलते हजारों भक्तों को मंदिर तक जाने में भारी परेशानी उठानी पड़ी। मार्ग संकरा होने व वाहनों की पार्किंग के कारण घंटों जाम की स्थिति बनी रही।
मंदिर का नया स्वरूप भाया-डिमऊ में प्राचीन स्वरूप के साथ बने परशुराम देवता का नया मंदिर सभी आगुंतकों के आकर्षण का केंद्र रहा। मंदिर में देवदार की लकड़ी पर राज मिस्त्री द्वारा की गई नक्काशी सबको आकर्षित करती रही।
गुर सिख रहित सुनो रे मीत-गुरुद्वारा रेसकोर्स में भाई अवतार सिंह ने शबद 'गुर सिख रहित सुनो रे मीत' और भाई करण सिंह ने शबद 'प्रगटिओ खालसा परमात्म की मौज' का गायन किया। इस मौके पर भाई जसमीत सिंह ने कहा कि 1699 ईस्वी में गुरु गोविंद सिंह महाराज ने खालसा पंथ की साजना की।
गुरु चरणों से जुड़ी संगत-गुरुद्वारा पटेल नगर में भाई प्रीतम सिंह ने 'आसा दी वार' का शबद 'खालसा मेरो रूप है खास', भाई अवतार सिंह ने 'पिओ पाहुल खंडे धार होए जन्म सुहेला' व भाई वीर सिंह ने शबद 'जागत जौत वसे निस वासुर' का गायन किया।
खालसा मेरो रूप है खास-रात्रि का दीवान गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में सजा। शुरुआत भाई मोहब्बत सिंह ने रहिरास पाठ से की। हेडग्रंथी भाई बूटा सिंह ने कहा कि अमृतपान करने पर सिख एक अकाल पुरख पर विश्वास करता है। भाई चरणजीत सिंह ने शबद 'वावा मन मतवारो नाम रस पिवै', भाई राम सिंह ने 'वाह-वाह गोविंद सिंह आपे गुर-चेला' और भाई अवतार सिंह ने 'पांच सिंघ अमृत जो देवे' का गायन कर संगतों को निहाल किया।
शबद-कीर्तन से गूंजे गुरूद्वारे
मथुरा- बैसाखी पर्व पर होलीगेट के समीप स्थित गुरूद्वारा सोमवार दोपहर तक शबद-कीर्तन से गूंजता रहा। इसके बाद प्रसाद का वितरण हुआ।
बैसाखी पर्व पर ही 1599 में खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। गुरूद्वारा में शनिवार को शुरू हुये श्री अखंड पाठ का सोमवार प्रात: तकरीबन दस बजे समापन हुआ। इस अवसर पर शबद कीर्तन मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सोहन सिंह व उनकी टीम ने किया। गुरूद्वारा के पदाधिकारी राकेश गांधी थे। उन्होंने कहा कि सिक्खों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह ने खालसा पन्थ की स्थापना की थी। इसलिये इस पर्व को खालसा पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।