विश्वभर में सबसे प्राचीन है यहां ब्रह्माजी का मंदिर
ब्रह्माजी वैसे तो सृष्टि रचियता हैं, मगर दुनिया में अन्य देवताओं की तरह उनके मंदिर की कतारें नहीं हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे कस्बा चौमुहां वो स्थान है, जहां ब्रह्माजी का सबसे प्राचीन मंदिर है। इसके बाद दूसरा मंदिर पुष्कर राजस्थान में है। ब्रह्माजी के चार मुख होने के कारण
चौमुहां । ब्रह्माजी वैसे तो सृष्टि रचियता हैं, मगर दुनिया में अन्य देवताओं की तरह उनके मंदिर की कतारें नहीं हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे कस्बा चौमुहां वो स्थान है, जहां ब्रह्माजी का सबसे प्राचीन मंदिर है। इसके बाद दूसरा मंदिर पुष्कर राजस्थान में है। ब्रह्माजी के चार मुख होने के कारण पहले यहां बसे गांव का नाम चौमुख था। फिर कालांतर में चौमुंह हुआ। अब वर्तमान में कस्बे को चौमुहां के नाम से जाना जाता है।
बताया जाता है कि सैकड़ों वर्षों पहले एक पुजारी को यहां झाड़ियों में ब्रह्माजी की मूर्ति होने को स्वप्न हुआ था। जब झाड़ियों को खुदवाया गया तो ब्रह्माजी की प्राचीन मूर्ति निकली। इसके बाद मूर्ति की स्थापना यहां हुई। तभी से हर वर्ष भादों माह की पूर्णिमा को वार्षिकोत्सव मनाया जाता है। पांच दिवसीय मेला लगता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ब्रह्माजी के दर्शन मात्र से मनुष्य के कष्ट दूर होते हैं, घर में सुख-शांति आती है। विश्व में ब्रह्माजी की तपोस्थली व प्राचीन मंदिर कस्बा चौमुहां में ही माना जाता है। दूसरा मंदिर पुष्कर राजस्थान में है। मंदिर के पुजारी राजाराम बताते हैं कि ब्रrाजी की बगैर इच्छा के यहां कोई मंदिर में कुछ बनवा भी नहीं सकता है। इसीलिए कई बार दानदाताओं की इच्छाएं भी दब कर रह जाती हैं।