टेसू के फूलों के रंग में नहाए देश और दुनिया के श्रद्धालु
द्वापरयुग में राधाकृष्ण की लीलाओं में लठामार होली की दिव्य लीला श्रद्धा का केंद्र बनी है। इन लीलाओं को बरसाना नंदगांव के ब्राह्मण समुदाय सखा-सखी के रूप में मान कर जीवंत कर रहे हैं। लाडली मंदिर में रोजाना सायं रसिक कवियों के होली के पद एवं धमार गायन हो रहे
बरसाना। द्वापरयुग में राधाकृष्ण की लीलाओं में लठामार होली की दिव्य लीला श्रद्धा का केंद्र बनी है। इन लीलाओं को बरसाना नंदगांव के ब्राह्मण समुदाय सखा-सखी के रूप में मान कर जीवंत कर रहे हैं। लाडली मंदिर में रोजाना सायं रसिक कवियों के होली के पद एवं धमार गायन हो रहे हैं।
लाडली महल में गोस्वामी समाज रसिक कवियों के पादों ढप, मृदंग झांझ मजीरा एवं तानपुरा की धुन के साथ गायन कर होली के रंग को गाढ़ा कर रहे हैं। ये पद राधाजी के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं के मन को झंकृत कर रहे हैं। दिव्य एवं अलौकिक लठामार होली की तैयारियों में बरसाना नगर का हर नर नारी उत्साहित है। शीघ्र से शीघ्र नंदगांव से नंद का छोरा अपने ग्वाल वालों के साथ बरसाना में आकर होली खेलें और हम सब राधा की सखियां मिलकर लाठियों से पिटाई कर सारी कसक निकाल लें।
आश्रम में तैयार हुआ टेसू का रंग- रमणरेती आश्रम में जो रंग वर्षा श्रद्धालुओं पर हो रही थी उसे आश्रम में तैयार होने में आठ दिन लगे। टेसू के फूल, केशर, चंदन आदि से तैयार हुआ था।
कान्हा की नगरी में होली के चटक रंग अपना असर दिखाने लगे हैं। कहीं मदिरों में होली गायन तो कहीं फूलों की होली। रमणरेती के गुरुशरणानंद आश्रम में रविवार को अबीर गुलाल उड़ा तो श्रद्धालु ब्रज की होली के नशे में झूम उठे। देश और दुनिया से आए श्रद्धालु भी मस्ती के इस समंदर में डुबकी लगाते रहे।
रविवार को बाल कृष्ण की लीलास्थली रमणरेती स्थित संत स्वामी गुरुशरणानंद महाराज के आश्रम में गुरु काष्र्णि गोपाल जयंती का समापन आश्रम में उड़ते गुलाल और टेसू के रंग भरी पिचकारियों की बौछारों के मध्य होली महोत्सव से हुआ। इस अवसर पर रासलीला आचार्य पद्मश्री स्वामी रामस्वरूप शर्मा के निर्देशन में हुई होली लीला के मध्य जब राधा - कृष्ण के स्वरूपों ने महाराजश्री के साथ होली खेली तो देश - विदेश से आए हजारों भक्तजनों के समक्ष द्वापर युगीन ब्रज की होली साकार हो उठी। चारों ओर फाग खेलन बरसाने में आए हैं नटवर नंदकिशोरÓ और Óआज बिरज में होली रे रसियाÓ के स्वर गूंजे तो श्रद्धालुओं ने भाव - विभोर होकर परस्पर गुलाल लगाकर और पिचकारी चलाकर आकाश और धरती को रंग - गुलाल से सराबोर कर दिया। सभी के मन में यह होड़ लगी हुई थी कि वे महाराजश्री को गुलाल लगाकर और उन पर पिचकारी चलाकर सौभाग्यशाली हों। महाराजश्री भी भाव - विभोर होकर भक्तों पर गुलाल बिखेर रहे थे। होली महोत्सव में रमेश भाई ओझा, स्वामी अवधेशानंद, शंकराचार्य आश्रम के मुनीश महाराज, महामंडलेश्वर श्याम महाराज,स्वामी गुरुचरणानंद, स्वामी महेशानंद, स्वामी अद्वैतानंद, आचार्य अशोक कुमार जोशी सहित प्रमुख नागरिकों ने होली के ब्रज रस का आनंद प्राप्त किया। सोमवार को यज्ञांत स्नान होगा।