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मंदिरों के माला-फूल करेंगे मलामाल

मंदिरों के शहर बनारस में प्रतिदिन सैकड़ों क्विंटल फूल मालाओं की खपत होती है। अंतत: मुरझाकर ये फूल गंगा में प्रवाहित हो जाते हैं। इसे रोकने के लिए बीएचयू स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने फूलों के सहारे पुण्य और धन दोनों कमाने की राह निकाली है। मंदिर में चढ़ाई गई माला गंगा में प्रवाहित करने के ब

By Edited By: Published: Tue, 08 Apr 2014 03:40 PM (IST)Updated: Tue, 08 Apr 2014 03:50 PM (IST)
मंदिरों के माला-फूल करेंगे मलामाल

वाराणसी। मंदिरों के शहर बनारस में प्रतिदिन सैकड़ों क्विंटल फूल मालाओं की खपत होती है। अंतत: मुरझाकर ये फूल गंगा में प्रवाहित हो जाते हैं। इसे रोकने के लिए बीएचयू स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने फूलों के सहारे पुण्य और धन दोनों कमाने की राह निकाली है। मंदिर में चढ़ाई गई माला गंगा में प्रवाहित करने के बजाय इत्र, तेल, अगरबत्ती व वर्मी कंपोस्ट आदि के काम आ सकती है। सुगंधित तैल- इसके लिए दरभंगा विवि के कुलपति व कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू के कृषि अर्थशास्त्री प्रो. साकेत कुशवाहा व डा. कमलवंशी बताते हैं कि मंदिरों में चढ़ाए जा चुके कदरन ठीक ठाक फूलों व तुलसी को अलग कर उसे एक पात्र में डिस्टिलेशन विधि से उबालते हैं। पानी के साथ फूल को गर्म किया जाता है। थोड़ी देर में बनने वाला सुगंधित भापयुक्त तैल दूसरे पात्र में एकत्र होने लगता है।

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अगरबत्ती- बचे सुगंधित फूलों को सुखाकर बुरादा बनाया जाता है। सूखने के बाद इसमें इत्र मिलाकर अगरबत्ती बनाई जा सकती है।

वर्मी कंपोस्ट- आखिरी में बचे हुए फूलों की पत्तियां, लकड़ियां व बिना सुगंध वाले फूलों का प्रयोग जैविक खाद व वर्मी कंपोस्ट बनाने में किया जा सकता है।

खपत पर अध्ययन-कृषि वैज्ञानिकों ने पांच प्रमुख मंदिर-काशी विश्वनाथ, अन्नपूर्णा, श्रीविश्वनाथ मंदिर, संकट मोचन व दुर्गा मंदिर में प्रतिदिन चढ़ने वाले फूलों व मात्र पर अध्ययन किया। पाया कि सामान्य दिनों में केवल इन्हीं पांच मंदिरों में लगभग 15 क्विंटल फूल चढ़ाया जाता है, विशेष अवसरों पर यह आंकड़ा 15 क्विंटल प्रति मंदिर हो जाता है। वैज्ञानिकों की टीम वाराणसी व आसपास के जिलों में जाकर लोगों को यह प्रयोग करके दिखा भी रहे हैं।

कहां करें संपर्क -कोई पुष्प कृषक या मंदिर प्रबंधन यदि इस दिशा में काम करना चाहता है तो वह बीएचयू स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के कृषि अर्थशास्त्र विभाग में प्रो. साकेत कुशवाहा व डा. कमलवंशी से संपर्क कर जानकारी ले सकता है।

कारोबार मुनाफे का- सुगंधित फूलों के इत्र बिक रहे हैं हजारों रुपये प्रति दस मिलीलीटर

मौके का उठाएं लाभ- आसपास के जिलों में चल रहा है जागरुकता अभियान

एक नजर पुष्प तैलों के दाम पर चमेली-2400 रु. प्रति दस मिली

गुलाब-2400 रु. प्रति दस मिली

गुलाबी कमल-5000 रु. प्रति दस मिली

तुलसी -60 रु. प्रति दस मिली।


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