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तीन करोड़ की लागत से सारनाथ में बनेगा उपकेंद्र

बिजली व्यवस्था से आजिज बनारस के एक क्षेत्र को अब शीघ्र ही राहत मिलने वाली है। सारनाथ में शक्तिपीठ आश्रम के नाम से 33केवी सबस्टेशन बनेगा। भूमि चयन के बाद वाराणसी जोन के मुख्य अभियंता ने निर्माण शुरू कराने के लिए बुधवार को स्वीकृति दे दी। इसके निर्माण में तीन करोड़ रुपये की लागत आएगी। पर्यटन व व्यवसाय संवर्धन को बढ़ावा

By Edited By: Published: Thu, 06 Feb 2014 11:43 AM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2014 12:40 PM (IST)
तीन करोड़ की लागत से सारनाथ में बनेगा उपकेंद्र

वाराणसी। बिजली व्यवस्था से आजिज बनारस के एक क्षेत्र को अब शीघ्र ही राहत मिलने वाली है। सारनाथ में शक्तिपीठ आश्रम के नाम से 33केवी सबस्टेशन बनेगा। भूमि चयन के बाद वाराणसी जोन के मुख्य अभियंता ने निर्माण शुरू कराने के लिए बुधवार को स्वीकृति दे दी। इसके निर्माण में तीन करोड़ रुपये की लागत आएगी।

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पर्यटन व व्यवसाय संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए पावर कारपोरेशन ने सारनाथ क्षेत्र में सबस्टेशन निर्माण की ओर कदम बढ़ाया है। प्रथम चरण में पांच एमवीए का ट्रांसफार्मर लगाया जाएगा। इससे 11केवी के दो फीडर निकालने की योजना है। भूमि नहीं मिलने के कारण योजना ठप पड़ी थी। जमीन की व्यवस्था करने में आशापुर खंड के अधिशासी अभियंता रामसेवक राम ने अहम भूमिका निभाई। सबस्टेशन का निर्माण नगरीय विद्युत वितरण निर्माण खंड द्वितीय के अधिशासी अभियंता हवलदार रावत की देखरेख में होगा। उपकेंद्र को छह माह में तैयार करने का लक्ष्य है।

ये क्षेत्र होंगे लाभान्वित- सारनाथ, शक्तिपीठ आश्रम, फरीदपुर, खजुरी, बरईपुर, मवइया, लोहियानगर, नवापुरा, श्रीनगर बाजार, गोइठहां आदि।

माना, भारत की कला व संस्कृति है महान-

ब्राजील के रक्षा मंत्री सेल्सो अमोरीम ने पत्‍‌नी मना मारिया संग बुधवार को सारनाथ में भगवान बुद्ध की पूजा की। रक्षा मंत्री चार सदस्यीय दल के साथ डेढ़ बजे पुरातात्विक संग्रहालय पहुंचे जहां सूचना पर्यटन अधिकारी राजेश भारती ने स्वागत किया। तत्पश्चात संग्रहालय में रखे राष्ट्रीय चिन्ह 'शीर्ष सिंह' के अलावा हिन्दू गैलरी, बुद्धा गैलरी में रखी प्राचीन मूर्तियों को देख दंपत्ति अभिभूत हो गए। रक्षा मंत्री बोल उठे कि 'भारत की कला एवं संस्कृति महान है'। बाद में पुरातात्विक खंडहर परिसर में धर्मराजिका स्तूप, प्राचीन मूल गंध कुटी बौद्ध मंदिर का अवलोकन किया।

धमेख स्तूप की परिक्रमा भी की। यहां से सीधे मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर पूजन-अर्चन किया। रक्षा मंत्री करीब करीब तीन घंटे सारनाथ में रहे। उनका मनोभाव यह बताने को काफी था कि उन्हें यह यात्र आजीवन नहीं भूलेगी क्योंकि खास बात यह कि सारनाथ तथागत की उपदेश स्थली है । यहां का कण-कण भगवान बुद्ध की स्मृतियों को अपने आप में समेटे हुए है। यहां का डियर पार्क इस बात का एहसास कराता है कि भगवान बुद्ध अपने पूर्वजन्म में इसी क्षेत्र में एक हिरण के रूप में विचरण किया करते थे। वसंत के मौसम में भी भ्रमण के दौरान रक्षामंत्री का बार-बार मिनरल वाटर पीना इस बात को उजागर कर रहा था कि विदेशी पर्यटकों के लिए यहां का मौसम चाहे जितना भी असहज क्यों न हो लेकिन जो आता है वह बुद्ध की उपदेश स्थली की आध्यात्मिकता में यहीं का होकर रह जाता है। इस दौरान यहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी। उनके म्यूजियम भ्रमण के दौरान पर्यटकों को रोक दिया गया था।

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