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भक्ति की अद्भूत लहर

विरक्त संत रमेश बाबा महाराज की राधारानी ब्रजयात्रा अपने अंतिम पड़ावों की ओर बढ़ रही है। हजारों ब्रजयात्रियों का एक साथ हरिनाम संकीर्तन वातावरण को कृष्णमय बना रहा है। सभी में भक्ति की अद्भूत लहर है। सोववार प्रात: ब्रजयात्रा अपने पैंतीसवें पड़ाव कुचावटी से डींग, दुदावली, टांकोली, न महारानियां होते हुए

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 11 Nov 2014 11:21 AM (IST)Updated: Tue, 11 Nov 2014 11:25 AM (IST)
भक्ति की अद्भूत लहर

मथुरा। विरक्त संत रमेश बाबा महाराज की राधारानी ब्रजयात्रा अपने अंतिम पड़ावों की ओर बढ़ रही है। हजारों ब्रजयात्रियों का एक साथ हरिनाम संकीर्तन वातावरण को कृष्णमय बना रहा है। सभी में भक्ति की अद्भूत लहर है।

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सोववार प्रात: ब्रजयात्रा अपने पैंतीसवें पड़ाव कुचावटी से डींग, दुदावली, टांकोली, न महारानियां होते हुए खोह पहुंची। यात्रा जैसे ही अपने पड़ाव से डींग पहुंची, वहीं से ब्रजयात्रियों के स्वागत की श्रृंखला प्रारंभ हो गई। कोई पुष्प से, कोई फल, कोई चाय-जलपान से तो कोई फूलमाला पहनाकर प्रणाम कर रहा था। ऐसे भव्य स्वागत को देख ब्रजयात्री भाव विभोर हो गए। डॉ. रामजीलाल शास्त्री ने पौराणिक कथा का वर्णन करते हुए खोह के विषय में बताया। यात्रा के बीच-बीच में यमुना मुक्तिकरण अभियान के संयोजक राधाकांत शास्त्री ने यमुना के महत्व को बताया। कहा कि यमुना महारानी सूर्य की पुत्री और यमराज की बहन है।

यमद्वितिया पर्व पर यमुना में स्नान करने से यमपाश से मुक्ति मिलती है। यमुना जीवन और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली है, परंतु आज बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना मैया आज भयंकर प्रदूषित है। जिस ब्रज के लिए वह कलिंद पर्वत से चली थीं आज उनकी धारा को मध्य में रोक लिया जाता है।

15 मार्च को कोसी से दिल्ली तक होने वाली पदयात्रा में भाग लेने की अपील की। संध्याकालीन सत्र में रमेशबाबा ने कहा कि भगवन नाम के सहारे बड़े-बड़े कार्य सफल हो जाते है।

ब्रजयात्रा अपने आखिरी पड़ावों की ओर बढ़ रही है। इस बीच कितने ही आंधी-तूफान आए पर यात्रा हरिनाम के सहारे यात्रा चलती रही। इसलिए हमें अपनी सुख-दुख सब भगवद् अर्पण कर हरिनाम स्मरण करना चाहिए। भगवान प्रत्येक कार्य को सफल बनाएंगे।


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