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श्रद्धा से लगाएं डुबकी

मोक्षदायिनी गंगा के तट गुरुवार को फिर गुलजार होंगे। डुबकी लगेगी, दान दिया जाएगा पुण्य लाभ की कामना में। संभवत: कुछ भक्त यह संकल्प भी लें कि सुरसरि अविरल-निर्मल हों, लेकिन प्रयागराज में तमाम श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर निराशा का भी होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां मोक्षदायिनी जीवन के

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 28 May 2015 04:38 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2015 04:44 PM (IST)
श्रद्धा से लगाएं डुबकी

इलाहाबाद। मोक्षदायिनी गंगा के तट गुरुवार को फिर गुलजार होंगे। डुबकी लगेगी, दान दिया जाएगा पुण्य लाभ की कामना में। संभवत: कुछ भक्त यह संकल्प भी लें कि सुरसरि अविरल-निर्मल हों, लेकिन प्रयागराज में तमाम श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर निराशा का भी होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां मोक्षदायिनी जीवन के लिए छटपटाती दिख रहीं हैं। फाफामऊ से ही दो धाराएं दिख रही हैं और संगम तक यही नजर आ रहा है। रेत के समंदर में गंगा गुमसुम हैं। शासन -प्रशासन के जिम्मेदारों के पास इतनी फुरसत नहीं थी कि वह अवसर विशेष के लिए भी इसमें पानी का जुगाड़ करवा देते, माघ मेले की तर्ज पर। इसलिए डुबकी तो लगेगी, खीजते हुए ही सही।

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गीरथ के कठिन तप से ज्येष्ठ शुक्लपक्ष दशमी पर सुरसरि पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं। ज्येष्ठ या जेठ माह की दशमी पर उनके अवतरण का पर्व सनातन मतावलंबी गंगा दशहरा के रूप में मनाते हैं। इस बार भी ऐसा ही कुछ होगा। फर्क इतना ही रहेगा कि दुर्दशा और दुखदायी होगी। प्रयाग में यह छोटे से नाले में तब्दील हो रही हैं। इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार नाले हैं। शहर के नालों के जरिए रोजाना प्रदूषित पानी गंगा में जाता है। सलोरी नाले का 48 एमएलडी प्रदूषित पानी प्रतिदिन गिरता है। 46 नाले गंगा व यमुना के जल को अपवित्र कर रहे हैं। वर्ष 2001 से सुरसरि की अविरलता के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, परंतु लगता है पानी में पानी का ही खेल हुआ। नरेंद्र मोदी सरकार की ‘नमामि गंगे योजना’ भी तस्वीर नहीं बदल सकी है।

संगम और दूसरे घाट भी बदहाल1संगम व गंगा के अन्य घाट दुर्दशा के शिकार हैं। रामघाट, दशाश्वमेध, गंगोली शिवाला व दारागंज घाट पर गंगा जल की जगह गंदगी का अंबार है। अरैल, सोमेश्वर महादेव, देवरख, लवायन, कुरिया और मनैया तक फैले गंगा घाटों की स्थिति और भी दयनीय है। संगम तक न पहुंचने वाले स्थानीय लोग यहीं डुबकी लगाते हैं। 1चिंता भर तक रहती है बात1कोर्ट के निर्देश के बावजूद सीवर व नालों का पानी गिरने तथा शुद्ध जल की कमी से प्रयागवाल सभा आहत है। सभा के अध्यक्ष अजय पांडेय एवं प्रयाग धर्म संघ अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर गंगा में जल छोड़ने व सीवर, नालों का पानी रोकने की मांग की थी, लेकिन चिट्ठी ऐसे बस्ते में डाल दी गई, जो खुला ही नहीं। मलमास में यहां देशभर से शिवभक्त स्नान व जलाभिषेक के लिए आते हैं। यहीं से जल लेकर काशी विश्वनाथ व बाबा बैजनाथ के जलाभिषेक की परंपरा रही है, लेकिन यही हाल रहा तो यह परंपरा भी शायद विलुप्त हो जाए।

विशाल पाट के बीच सिकुड़ी सी गंगा का दृश्य। कभी गर्मी में यह तेज प्रवाह के साथ इठला कर बहा करती थी। पहाड़ों की बर्फ पिघलने पर इसमें भीषण गर्मी में भी भरपूर पानी आता था। आज हालात एकदम उलट है।इलाहाबाद : गंगा दशहरा पर इस बार गुरुवार को हस्त नक्षत्र, गर करण के साथ कन्या राशि में चंद्रमा व वृष राशि में सूर्य का संचरण होगा। यह अत्यंत सुखद स्थिति है। ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय के मुताबिक मन में ‘ऊं गंगे, हर-हर गंगे’ का जाप करते हुए 10 डुबकी लगानी चाहिए। इससे वाणी, शारीरिक व मानसिक दस विकृतियों से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि स्नान के बाद द्रव्य (पैसा), फल, सत्तू, जल भरा मटका, पंखा का दान कल्याणकारी होगा।


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