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सप्तमं कालरात्रि

शारदीय नवरात्र के सातवें दिन भगवती के कालरात्रि रूप के दर्शन-पूजन का विधान है। इनका मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप कालिका गली में स्थित है। देवी कालरात्रि का दर्शन-पूजन एक अक्टूबर (बुधवार) को होगा। पद्मश्री प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार भगवती रूप संहार की शक्ति हैं। मृत्यु अर्थात काल का विनाश करने की शक्ति

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 10:14 AM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 10:34 AM (IST)
सप्तमं कालरात्रि

वाराणसी। शारदीय नवरात्र के सातवें दिन भगवती के कालरात्रि रूप के दर्शन-पूजन का विधान है। इनका मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप कालिका गली में स्थित है। देवी कालरात्रि का दर्शन-पूजन एक अक्टूबर (बुधवार) को होगा।

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पद्मश्री प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार भगवती रूप संहार की शक्ति हैं। मृत्यु अर्थात काल का विनाश करने की शक्ति भगवती में होने के कारण इन्हें कालरात्रि के रूप में पूजा गया। देवेश्वरी अकाल मृत्यु से बचानेवाली हैं और सभी बाधाओं का नाश करती हैं। मां कालरात्रि का ध्यान इस मंत्र से किया जाना चाहिए-

'एक वेणी जयाकर्णपूरा नग्नाखरास्थिता। लंबोष्ठी, कर्णिका कर्णी तैलामयक्त शरीरिणी।।' 'वा पाहोल्लसल्लोह लता कंटक भूषण। वर्धन् मर्धध्वजा कृष्ण काल रात्रिर्भयंकरी।।' भगवती कालरात्रि की उपासना से सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। भगवती मुकदमे में विजय, शत्रुओं से संबंधों में सुधार और भौतिक ताप का नाश करती हैं।


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