Move to Jagran APP

इस्लाम व कुरान नहीं कहते कि लाउडस्पीकर से दी जाए अजान

यहां मंदिरों की गूंजती घंटियों और अजान के बीच सबकी सुबह होती है। ऐसी गंगा-जमुनी तहजीब को इस तरह के विवादों में नहीं घसीटा जाए तो बेहतर होगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 20 Apr 2017 01:27 PM (IST)Updated: Thu, 20 Apr 2017 02:24 PM (IST)
इस्लाम व कुरान नहीं कहते कि लाउडस्पीकर से दी जाए अजान
इस्लाम व कुरान नहीं कहते कि लाउडस्पीकर से दी जाए अजान

अहमदाबाद। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने कहा है कि कुरान व इस्लाम नहीं कहते कि अजान लाउडस्पीकर से देना जरूरी है। उनका कहना है कि इसमें कोई शक नहीं कि नमाज अता करने के लिए अजान देनी जरूरी है लेकिन वह लाउडस्पीकर से हो यह जरूरी नहीं है। पटेल ने कहा कि अजान इस तरह से दी जाए जिससे किसी को परेशानी न ङोलनी पड़े।

loksabha election banner

 उन्होंने कहा कि आज तकनीक का युग है। वह लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें देखना चाहिए कि इससे किसी और को परेशानी न हो। इससे पहले मंगलवार दोपहर को उन्होंने ट्वीट भी किया। गौरतलब है कि बीते दिन सोनू निगम ने ट्वीट किया था कि वह मुस्लिम नहीं है, लेकिन फिर भी रोज सुबह उनकी नींद लाउडस्पीकर पर दी जाने वाली अजान से खुलती है।

अजान पर आपत्ति

 गायक सोनू निगम के ट्वीट के बाद अजान में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर देश में हर तरफ प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। अजान के लिए क्या लाउडस्पीकर अनिवार्य है? इस पर दैनिक जागरण ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व मुस्लिम धर्मगुरुओं से बात की तो उन्होंने इस तरह की कोई भी पाबंदी सबके ऊपर लगाने की बात कही। उनका मानना है कि रात में दस से सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध तो सुप्रीम कोर्ट ने ही लगा रखा है और इसे बिना भेदभाव के लागू किया जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ.कल्बे सादिक का कहना है कि पहले एक बात समझना बेहद जरूरी है कि इस तरह के मसले क्यों उठ रहे हैं। जब सुप्रीम कोर्ट पहले ही लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर आदेश दे चुका है, तो फिर इस तरह के सवाल-जवाब का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

 सुप्रीम कोर्ट का जो भी आदेश है उसी के अनुसार लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होना चाहिए। बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि यहां मंदिरों की गूंजती घंटियों और अजान के बीच सबकी सुबह होती है। ऐसी गंगा-जमुनी तहजीब को इस तरह के विवादों में नहीं घसीटा जाए तो बेहतर होगा। वहीं, अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष व पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूखी का कहना है कि बेशक अजान के लिए लाउडस्पीकर जरूरी नहीं है, लेकिन केवल एक मजहब को लेकर इस तरह की बात उठेगी तो फिर आपत्ति होगी। देश सभी मजहबों का है, इसलिए जो भी हो, सबके लिए हो तो किसी को एतराज नहीं होगा।

पाश्र्वगायक सोनू निगम द्वारा लाउडस्पीकर से तेज आवाज में जताए जाने के बाद फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने संबंधित मस्जिद के लोगों से लाउडस्पीकर की आवाज कम करने की अपील की है। उनका कहना है कि इस्लाम में पड़ोसी को सबसे ऊपर बताया गया है। अगर पड़ोसी को लाउडस्पीकर की आवाज से परेशानी है तो उसकी आवाज को कम से कम किया जाना चाहिए।

उन्होंने सोनू निगम की आपत्तियों को निजी फायदे से जोड़ते हुए कहा कि वह लोकप्रिय हैं। शायद वह ऐसा कहकर कुछ और लोगों का समर्थन जुटाना चाहते हैं। शाही इमाम ने कहा कि मजहब में सबसे पहले पड़ोसी का ध्यान देने को कहा गया है। चाहे वह पड़ोसी किसी धर्म का हो। अजान देते समय इसका ख्याल रखा जाता है कि इससे बीमार व छात्र समेत किसी को परेशानी न हो। साथ ही उन्होंने सोनू निगम को कुछ बर्दाश्त करने का सबक देते हुए कहा कि हम धर्म निरपेक्ष देश में रहते हैं। अगर किसी की धार्मिक व्यवस्था से थोड़ा कष्ट होता है तो उसे बर्दाश्त करना चाहिए। उन्होंने खुद मस्जिद से बाहर निकलते धार्मिक जुलूसों और घर के नीचे माता की चौकी की आवाज पर कोई आपत्ति नहीं जताई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.