छह सौ लट्ठों से झूरा गया कंस
छज्जू लाये खाट के पाये, मार-मार ल_न झूर कर आये। वा ही कंस की दाढ़ी लाये, वा ही कंस की मूंछें लाये। कंसा के घर के घबराये। इस उद्घोष के बीच छह सौ लठों से रविवार को कंस वध हुआ। माथुर चतुर्वेद परिषद के तत्वावधान में आयोजित कंस वध मेला
मथुरा। छज्जू लाये खाट के पाये, मार-मार ल_न झूर कर आये। वा ही कंस की दाढ़ी लाये, वा ही कंस की मूंछें लाये। कंसा के घर के घबराये। इस उद्घोष के बीच छह सौ लठों से रविवार को कंस वध हुआ। माथुर चतुर्वेद परिषद के तत्वावधान में आयोजित कंस वध मेला में समाज के लोगों ने सुबह से प्रमुख अखाड़े-बगीची लक्ष्मण गढ़, भवंतगढ़, पीपल वाला आदि पर जमकर भांग ठंडाई छानी और दोपहर होते ही मेला की तैयारियां शुरू हो गयीं।
सायं कंस के पुतले को लेकर नारेबाजी करते हुए लोग कंस टीला पहुंचे। आगे-आगे भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के स्वरूप हाथी पर सवार होकर चल रहे थे। कंस टीले पर कंस के धड़ को दनादन लाठियों से पीटा गया। बाद में लोग उसके चेहरे को लेकर कंधों पर उठाए दौड़ लगाकर जीत की प्रसन्नता व्यक्त करते हुए निकले। यहां विजय महोत्सव शोभायात्र में जमकर आतिशबाजी हुई। शोभायात्रा होली गेट चौराहे पहुंची तो यहां भी खूब आतिशबाजी हुई। कंसखार पर कंस के चेहरे को लाठियों से धुना गया। शोभायात्रा में जीप पर कंस का होर्डिग, उसके पीछे कंस का पुतला, घोड़े पर सवार दो सेवर विजय ध्वज लेकर चल रहे थे। उनके पीछे विजय घोष करते ढोल-तासे के साथ अन्य झांकियां शामिल थीं।
सिद्धि विनायक गणोश झांकी और कालिया मर्दन झांकी आगरा से आयी थी तो आगरा का ही सुधीर बैंड सुमधुर भजन सुना रहा था। महारास लीला झांकी, कृष्ण बलराम झांकी आदि चल रही थीं। अंत में विश्राम घाट पर शोभायात्रा का स्वागत दूध, इत्र और पान से हुआ और मुख्य संरक्षक महेश पाठक ने आरती उतारी। इस मौके पर द्वारिकाधीश मंदिर से लेकर कंस टीले रंगेश्वर मंदिर तक बाजारों को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। कंस वध के प्रायश्चित बतौर तमाम चतुर्वेदी देर रात तीन वन की परिक्रमा के लिए निकल गए।
कृष्ण-बलराम कंस वध महोत्सव के अंतर्गत रविवार को श्री माथुर चतुर्वेद परिषद द्वारा निकाली गयी शोभायात्रा में शामिल हुए उद्योगपति।