मौजूदा महाकुंभ सिंहस्थ सबसे हाईटेक और सबसे बड़ा धार्मिक मेला हो गया है
स्वतंत्रता सेनानी रामदयाल कुवाल अपने जीवन का सातवां सिंहस्थ देख रहे हैं।
उज्जैन। स्वतंत्रता सेनानी रामदयाल कुवाल अपने जीवन का सातवां सिंहस्थ देख रहे हैं। वे बताते हैं कि दो दशक पहले तक के सिंहस्थ में न तो संतों के इतने विशाल तंबू लगा करते थे, न ही होर्डिंग। रात को रोशनी भी कम हुआ करती थी। किसी संत से मिलना हो तो लोगों से पता पूछकर ही वहां पहुंचा जाता था। अब तो जगह-जगह रास्ता बताते होर्डिंग लग गए हैं।
मोबाइल ऐप, वेबसाइट और हेल्प डेस्क बन गई हैं। तब रात की अपेक्षा दिन में ज्यादा भीड़ हुआ करती थी। मंगलनाथ और दत्त अखाड़ा क्षेत्र में ही साधु-संतों के पंडाल लगा करते थे। लोग पूरा मेला पैदल या साइकिल से घूम लेते थे।
अब तो मोटरसाइकिल, ई-रिक्शा, कार से भी मेला घूमा जा रहा है। 1968 तक के सिंहस्थ में कार गिनती की और बैलगाड़ी बहुत नजर आती थीं। मौजूदा महाकुंभ सिंहस्थ सबसे हाईटेक और सबसे बड़ा धार्मिक मेला हो गया है, जिसकी गवाह सारी दुनिया बनेगी।