सिंहस्थ पूर्ण होते ही अब संतों की विदाई का सिलसिला शुरू
संतों ने कहा कि सिंहस्थ में आना किसी रोमांच से कम नहीं होता। भगवान महाकाल की नगरी में बिताए गए दिन हमेशा याद आएंगे।
उज्जैन। सिंहस्थ पूर्ण होते ही अब संतों की विदाई का सिलसिला शुरू हो गया है। सोमवार को महानिर्वाणी अखाड़े के संतों सहित महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी शिविर छोड़कर रवाना हो गए हैं। मंगलनाथ क्षेत्र में बैष्णव संप्रदाय के अधिकांश संत अपने-अपने मठों के लिए प्रस्थान कर गए हैं।
मंगलवार को अग्नि अखाड़ा और आवाहन अखाड़ा के संत शिविर छोड़ेंगे। सिंहस्थ मेला अंतिम अमृत स्नान के साथ ही उखड़ना प्रारंभ हो गया था। संतों की विदाई प्रारंभ हो गई है। अखाड़ों के अलावा अन्य शिविर लगभग खाली हो चुके हैं। अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने सोमवार को कढ़ी-पकौड़ा यानी विदाई का भोज दिया।
कैलाशानंद ने कहा कि सिंहस्थ में आना किसी रोमांच से कम नहीं होता। भगवान महाकाल की नगरी में बिताए गए दिन हमेशा याद आएंगे। पंचायती अखाड़ा श्री निर्मल के संत भी देर रात मठों के लिए रवाना हो गए। महानिर्वाणी अखाड़ा के संत भी एक-दूसरे से मुलाकात कर वाराणसी और हरिद्वार चले गए।