शिव पुराण में भी अंकित है सिद्धपीठ श्री देवी तालाब मंदिर की जानकारी
मंदिर के परिसर में विश्व की 52 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक मां त्रिपुरमालिनी का मंदिर विराजित है वहीं, 187 वर्ष पूर्व इसी जगह पर विश्व विख्यात श्री हरिबल्लव संगीत सम्मलेन का आगाज हुआ था।
By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 12:09 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 12:26 PM (IST)
जालंधर। विश्व विख्यात श्री देवी तालाब मंदिर का जिक्र हिन्दूओं के प्रसिद्ध व पावन ग्रंथ शिव महापुराण में भी है। इससे इस मंदिर के महत्व का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। मंदिर के परिसर में विश्व की 52 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक मां त्रिपुरमालिनी का मंदिर विराजित है वहीं, 187 वर्ष पूर्व इसी जगह पर विश्व विख्यात श्री हरिबल्लव संगीत सम्मलेन का आगाज हुआ था।
यह है इतिहास
शिव महापुराण में श्री देवी तालाब मंदिर का जिक्र प्रमुख पवित्र स्थानों में से एक है। बात 1970 की है। उस समय लाला द्वारका दास सहगल ने पूर्व आईजी अश्वनी कुमार के साथ मिलकर इस मंदिर का निर्माण शुरू किया। इसके बाद 1975 में गाजियाबाद से देवा मां ने मंदिर में मां सरस्वती, मां लक्ष्मी व मां अष्टभुजी की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित करवाई। वहीं, 1988 में मां के दरबार में आखंड ज्योति प्रज्जवलित की गई। जिसके दर्शनों को आज भी विश्व भर से श्रद्धालु पहुंचते है।
श्री हरिबल्लव संगीत के 137 वर्ष का सफर
श्री देवी तालाब मंदिर में 137 वर्ष पूर्व श्री हरिबल्लव संगीत सम्मेलन का आगाज हुआ था, जिसका सफर निरंतर जारी है। खास बात यह है कि संगीत के इस मंच से कई कलाकारों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्याति हासिल की। इस समय ओपी सेठ व पूर्णिमा बेरी सहित पूरी टीम एकजुट होकर इस आयोजन को सफल बनाते है।
2006 में विकसित हुई सिद्ध शक्तिपठ का मंदिर
श्री देवी तालाब मंदिर के प्रांगण में स्थित विश्व की 52 शक्तिपीठों में से एक मां त्रिपुरमालिनी के मंदिर का विकास 2006 में श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के महासचिव राजेश विज ने करवाया। इस दौरान मंदिर के नवनिर्माण से लेकर उसकी सुन्दरता व मंदिर के बाहर शैड बनाने तक में उन्होंने अहम भूमिका अदा की। इस समय विश्व भर से मां के भक्त यहां नतमस्तक होने आते है। वहीं हर शुक्रवार को भजन संध्या के अलावा अप्रैल के पहले शुक्रवार को विशाल मेला लगाया जाता है।
बाबा हेमगिरी की समाधि भी है खास
श्री देवी तालाब मंदिर परिसर में सात शिव मंदिर, मां काली का मंदिर, शीतला माता मंदिर, मां वैष्णों देवी मंदिर के अलावा सिद्ध तपस्वी बाबा हेमगिरी की पावन समाधि बनी है। उनके अनुयायी दूर-दूर से यहां नतमस्तक होने आते है।
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