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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गिनाई चुनौतियां

इसाईयों को धर्म प्रचार के लिए खुली छूट है। कुरान शरीफ पढ़ाते हैं तो सरकार सहायता देती है पर सनातन धर्म से जुड़ी संस्थाओं के साथ ऐसा नहीं है। अगर हम धर्म के प्रचार के लिए हम कुछ करना चाहे तो हमें अनुमति लेनी पड़ती है। गौ हत्या हो रही है। गंगा के प्रदूषण से मानव समाज के अस्तित्व पर संकट आ गया है। यह हालात बतातें हैं कि

By Edited By: Published: Tue, 28 Jan 2014 11:22 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2014 11:41 AM (IST)
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गिनाई चुनौतियां

इलाहाबाद। इसाईयों को धर्म प्रचार के लिए खुली छूट है। कुरान शरीफ पढ़ाते हैं तो सरकार सहायता देती है पर सनातन धर्म से जुड़ी संस्थाओं के साथ ऐसा नहीं है। अगर हम धर्म के प्रचार के लिए हम कुछ करना चाहे तो हमें अनुमति लेनी पड़ती है। गौ हत्या हो रही है। गंगा के प्रदूषण से मानव समाज के अस्तित्व पर संकट आ गया है। यह हालात बतातें हैं कि सनातन धर्म खतरे में हैं। सामने गंभीर चुनौतियां हैं।

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यह कहना है ज्योतिष एवं द्वारका पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का। मनकामेश्वर मंदिर में जागरण से बातचीत में शंकराचार्य ने सनातन धर्म की चुनौतियों समेत तमाम धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए।

जनता की बातों को तवज्जो मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर महात्मा गांधी जैसी ताकत होनी चाहिए। उन्होंने दमन सहन करते हुए भी कभी क्षमा याचना नहीं की। इससे लोगों की उनपर श्रद्धा हो गई। अगर सभी सनातन धर्मी एक हो जाएं और अपने आचार्यो की बात माने तो फिर स्थितियां बदल जाएंगी। लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया पर टिप्पणी करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि सही लोगों का चुनाव नहीं हो रहा है। चुनाव से पहले लोगों को शराब पिलाई जा रही है। एक एमएलए ने कहा कि उसने चुनाव में साढ़े छह करोड़ रुपये खर्च कर दिए। ऐसे में कहां लोकतंत्र हैं।

मीडिया पर भरोसा करना मुश्किल हो रहा है। स्थितियां मुश्किल होती जा रही हैं। आधुनिक होते समाज में 'धर्म की परिवर्तनशीलता' की संभावना पर शंकराचार्य ने कहा कि धर्म ईश्वर की बनाई गई संहिता पर चलता है। इसमें दंड देने का अधिकार ईश्वर को ही है। अगर इंसान संहिता बना भी ले तो दंड कौन देगा। धर्म परिवर्तनशील नहीं हो सकता। माघ मेले में अखाड़ों की परंपरा शुरू करने के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि नई धार्मिक परंपराएं शुरू करना ठीक नहीं है। भ्रष्टाचार के मामलों पर उनका कहना था कि अब कोई भी राजनेता या अफसर हमारे पास धर्म की शिक्षा लेने नहीं आता। लोग अपनी तरक्की के लिए महात्माओं के पास आते हैं। मेला क्षेत्र में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने भक्तों को आशीर्वाद दिया।

'कौआ कान ले गया वाली बात'-सवाल पूछने वालों पर हम कभी नाराज नहीं होते। पत्रकार को थप्पड़ जड़ने वाली बात तो ठीक वैसी ही है जैसे कौआ कान ले गया वाली कहावत। वह कहां हैं सामने क्यों नहीं आ रहे हैं। हमने उन्हें राजनीतिक सवाल करने से मना किया था बस। जिसने जो सवाल किया उसका जवाब दिया। पूरे कार्यक्रम की वीडियो रिकार्डिग हमारे पास है। हमारे खिलाफ दुष्प्रचार के लिए नकली शंकराचार्यो ने यह कृत्य किया।

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