असि को लौटाएं नदी के स्वरूप में
जन गण मन के अखबार दैनिक जागरण द्वारा असि नदी के संरक्षण के बाबत चलाए जा रहे अभियान में अब स्वत: स्फूर्त प्रतिक्रियाएं भी शामिल होने लगी हैं। बुधवार को लंका-दुर्गाकुंड मार्ग स्थित संकटमोचन पुलिया पर असि को उबारने की मांग लिए युवाओं ने प्रदर्शन किया। इस दौरान मुख्य मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों को भी गंगा व बांकी नदी की
वाराणसी। जन गण मन के अखबार दैनिक जागरण द्वारा असि नदी के संरक्षण के बाबत चलाए जा रहे अभियान में अब स्वत: स्फूर्त प्रतिक्रियाएं भी शामिल होने लगी हैं। बुधवार को लंका-दुर्गाकुंड मार्ग स्थित संकटमोचन पुलिया पर असि को उबारने की मांग लिए युवाओं ने प्रदर्शन किया। इस दौरान मुख्य मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों को भी गंगा व बांकी नदी की दुर्दशा के बाबत जानकारी देते हुए इसके संरक्षण के प्रति जागरुक किया गया।
पुलिया पर प्रदर्शन करने वाले युवा हाथों में असि नदी के संरक्षण के बाबत लिखी इबारत के पोस्टर लिए हुए थे। 'काशी की पहचान बचाना है', 'असि नदी को बचाना है', 'जागो काशीवासी' व 'काशी की पहचान-वरुणा और असि' आदि नारों के जरिए राहगीरों का ध्यान आकर्षित किया गया। प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि असि अब नाले के स्वरूप में बची है। यह समाज और प्रशासन की उदासीनता का नतीजा है। असि पर आए संकट से प्राचीन नगरी की संस्कृति और शहर के आधुनिक नाम पर खतरा आ गया है। असि और वरुणा कभी यहां की शान हुआ करती थीं। इसमें भी सर्वाधिक दुर्दशा की शिकार असि को होना पड़ा है। अब किसी भी तरह का जतन करके असि को उसका नदी का स्वरूप देना ही होगा। इसके लिए जिला प्रशासन और शासन को व्यापक स्तर पर पहल करनी होगी। साथ ही नदी के प्रवाह क्षेत्र में अतिक्त्रमण कर आशियाना बनाने वालों को भी यह सोचना चाहिए कि आखिरकार वह प्रकृति से खिलवाड़ कर भला चैन से कैसे रह सकते हैं। जागरण की पहल ने जगाया- प्रदर्शन करने वाले युवाओं का कहना था कि वैसे भी वह असि व वरुणा नदी की दुर्दशा देखकर खिन्न रहते थे। ऐसे में जब दैनिक जागरण की ओर से मुद्दा बनाते हुए असि की दुर्दशा पर फोकस करते हुए खबरों का प्रकाशन शुरू किया गया तो हम युवाओं के साथ ही समाज में मौजूद पर्यावरण प्रेमियों को भी एक तरह से झकझोरा गया। अब इस मुहिम को असि का भला होने तक जारी रखा जाएगा।