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सावन माह में भोलेनाथ भक्तों के बीच आ जाते हैं

शिवलायों में सावन के पहले सोमवार से ही शिव आराधना का दौर शुरू हो गया । जो पूरे महीने भर चलेगा। इस दौर शिव मंदिरों में भवगान भोलानाथ का पूजन,अभिषेक किए जाने के साथ ही विशेष अनुष्ठान भी संपन्न होंगे। वहीं महिलाएं सावन सोमवार का व्रत भी रखी हैं। इस

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 08:57 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 09:38 AM (IST)
सावन माह में भोलेनाथ भक्तों के बीच आ जाते हैं

सीहोर। शिवलायों में सावन के पहले सोमवार से ही शिव आराधना का दौर शुरू हो गया । जो पूरे महीने भर चलेगा। इस दौर शिव मंदिरों में भवगान भोलानाथ का पूजन,अभिषेक किए जाने के साथ ही विशेष अनुष्ठान भी संपन्न होंगे। वहीं महिलाएं सावन सोमवार का व्रत भी रखी हैं। इस तरह पूरे माह शिव की भक्ति और आराधना कर दौर चलेगा और शिव की भक्ति में श्रद्वालु डूबे रहेंगे। शहर में कई शिव मंदिर ऐसे हैं। जहां सावन माह में श्रद्वालुओं का तांता लगा रहता है।

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लेकिन कुछ ऐसे प्राचीन शिवायल है। जहां शिव की भक्ति से मिलती भक्तों को जीवन जीने की शक्ति। शहर में चार प्राचीन शिवालय - पेशवा कॉलीन मनकामेश्वर महादेव मंदिर 500 साल पुराना है। पुजारी रमेशचंद्र शुक्ला हैं। विशेषता : शहर का सबसे पुराना शिव मंदिर है। यहां सावन सोमवार को दिन भर भोलेनाथ के अभिषेक लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। - भूतेश्वर महादेव मंदिर 400 साल पुराना है। मंदिर की व्यवस्था पुरूषोत्तम कुशवाह देखते हैं। विशेषता : इस शिवलाय में साल भर भक्तों की दर्शनों के लिए भीड़ लगी रहती है। ऐसी मान्यता है कि सावन माह में यहां शिव अभिषेक करने से लोगों की मनोकना पूर्ण होती है। - सहस्त्र लिंगेश्वर मंदिर भी लगभग 200 साल पुराना है। यहां पंडित सुधीर शर्मा मंदिर की व्यवस्था देखते हैं। विशेषता : हर सोमवार को भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रंगार किया जाता है।

यहां भी सावन सोमवार को दिन भर पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की भीड़ लगी रहती है। - चमत्कारेश्वर मंदिर 150 साल पुराना है। पंडित लक्ष्मीनारायण बैरागी इस मंदिर की व्यवस्था देखते हैं। विशेषताः ऐसी मान्यता है कि सावन में इस मंदिर में अभिषेक करने से वैभव और धन की अचानक से प्राप्ति होती है। यहां भी बढ़ी संख्या में श्रद्वालु देर रात तक सावन सोमवार को भजन कीर्तन करते हैं। श्रावण मास में यहां भी लगेंगे मेले सावन माह में शहर सहित जिल भर के शिवलयों में मेले लगेंगे और पूजा अर्चना का दौर चलेगा। नर्मदा नदी के तटों पर स्थित प्रसिद्व शिव मंदिरों में भी माह भर पूजा और अभिषेक का दौर चलेगा। यहां भी श्रद्वालु भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन रहते हैं। शहर के मनकामेश्वर मंदिर में भी श्रद्वालुओं का जनसैलाब उमड़ता है। यहां श्रावण माह में यह सिलसिला अनवतर रूप से चलता है।

इसी तरह अन्य मंदिरों में भी श्रद्वालु भगवान भोले नाथ के दर्शनों के लिए पहुंचे हैं। ऐसे करें शिव को प्रसन्न शास्त्रों में उल्लेख है कि सावन माह में भगवान भोलेनाथ हिमालय से उतर कर भक्तों के बीच आ जाते हैं। सोमवार शिवजी की कृपा पाने के लिए विशेष दिन माना गया है। श्रद्वालु शत्रु के नाश के लिए तेल, प्रसन्नता के लिए गन्ने के रस, सुख समृद्वि के लिए बेलपत्र, धतूर के फूल और धतूरा। वहीं दोषी समाप्त के लिए भांग और चावल से भी अभिषेक किया ्‌जाता है।


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