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शनिवार को कि गई इस पूजा से शनिदेव अति प्रसन्‍न होते हैं

मान्यता है कि पीपल की जड़, मध्य भाग व अगले भाग में क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास होता है। यह श्री व सौभाग्य वृद्धि करने वाला माना गया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 12:36 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 10:23 AM (IST)
शनिवार को कि गई इस पूजा से शनिदेव अति प्रसन्‍न होते हैं
शनिवार को कि गई इस पूजा से शनिदेव अति प्रसन्‍न होते हैं

पीपल पूजा ग्रह दोष शांति कायम करने वाली भी मानी गई है। विशेष रूप में शनि दोष शांति के लिए पीपल पूजा बड़ी ही असरदार मानी गई है। हिन्दू धर्म में पीपल को देव वृक्ष स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि पीपल की जड़, मध्य भाग व अगले भाग में क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास होता है। यही नहीं, इसके अन्य भागों में वसु, रुद्र, वेद, यज्ञ, समुद्र, कामधेनु के साथ ही कई देवी-देवताओं का वास माना जाता है।

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इसलिए सांसारिक जीवन से जुड़ी हर कामनासिद्धि और दु:ख-दरिद्रता का निवारण पीपल पूजा द्वारा संभव हो जाता है। यही वजह है कि शुभ योग में देवमूर्ति की पूजा या देवालय न जाने की दशा में विशेष मंत्र का ध्यान कर पीपल पूजा कर लेना भी मलीनता, दरिद्रता व सारी परेशानियों को दूर कर सुख, ऐश्वर्य व धन की कामना को पूरी करने वाली सिद्ध होगी। जानिए यह मंत्र विशेष व पूजा की सरल विधि-

सूर्यादय के पहले जागकर स्नान के बाद पवित्र सफेद वस्त्र पहन पवित्र स्थान पर स्थित पीपल वृक्ष की जड़ में गाय का दूध, तिल, चंदन मिला गंगाजल या कुंड, नदी का पवित्र जल अर्पित करें।

पीपल वृक्ष में जनेऊ व फूल, नैवेद्य चढ़ाएं, धूप बत्ती व दीप जलाकर करीब ही बैठ या खड़े रहकर भी विशेष मंत्र बोलते हुए त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु व महेश का स्मरण करें व तमाम परेशानियों से रक्षा की कामना करें।

मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे।

अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।

आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्।

देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।

मंत्र स्मरण के बाद त्रिदेव व शनिदेव की आरती करें, प्रसाद ग्रहण करें व पीपल की जड़ में अर्पित थोड़ा सा जल घर में लाकर छिड़के। यह श्री व सौभाग्य वृद्धि करने वाला माना गया है।


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