धरती पर फिर से मिली सरस्वती की धारा
विलुप्त सरस्वती की धारा फिर से धरती पर मिलने की खबर को लेकर पुरातत्व विभाग असमंजस मे हैं। उपर से लेकर नीचे तक कोई अधिकारी इसके बारे में बोलने से बच रहा है।
यमुनानगर। मुस्लिम दंपती सलमा और रफीक का फावड़ा जमीन पर क्या पड़ा कि विलुप्त हो चुकी सरस्वती की धारा जल के रूप में बहने लगी। दोनों ने सोचा भी नहीं था कि उनका श्रमदान यमुनानगर के इतिहास में नया अध्याय जोड़ेगा। अधिकारियों से लेकर ग्रामीणों तक सभी ने दंपती को बधाई दी।
वह दिन दूर नहीं जब विलुप्त हो चुकी सरस्वती का पानी धरती पर नदी के रूप में बहता दिखेगा। इसकी शुरुआत मंगलवार को हो गई है। बिलासपुर खंड के मुगलवाली गांव में खुदाई के दौरान सरस्वती का पानी मिला। वह भी एक या दो नहीं बल्कि चार स्थानों पर।
धरती से सरस्वती का पानी निकलने की खबर पूरे जिले में फैल गई और लोगों का जमावड़ा मुगलवाली में लग गया। डीसी डॉ. एसएस फूलिया और एसडीएम बिलासपुर पूजा चांवरिया भी मौके पर पहुंचे। डीसी ने पहले तो पानी का स्वाद चखा और फिर श्रमदान किया। प्रशासन की तरफ से मौके पर मौजूद लोगों में लड्ड बांटे गए।
80 मजदूर लगे थे खुदाई में :
मुगलवाली गांव में मनरेगा के तहत 80 मजदूर काम कर रहे थे। सचिव बलकार सिंह ने बताया कि करीब आठ फीट गहराई पर जब खलील अहमद, सलमा, प्रदीप व प्रवीन कुमार दोपहर करीब एक बजे खुदाई कर रहे थे तो अचानक जमीन में से पानी की धारा फूट पड़ी। पहले थोड़ा पानी निकला, लेकिन जैसे ही ज्यादा खुदाई की तो पानी की मात्र बढ़ती चली गई। पानी निकलते ही मजदूर वहां जमा हो गए। देखते ही देखते चार जगहों पर सरस्वती का पानी निकलने लगा।
पुरातत्व विभाग असमंजस
विलुप्त सरस्वती की धारा फिर से धरती पर मिलने की खबर को लेकर पुरातत्व विभाग असमंजस में हैं। ऊपर से लेकर नीचे तक कोई अधिकारी इसके बारे में बोलने से बच रहा है। एएसआइ के महानिदेशक राकेश तिवारी जहां संपर्क में नहीं हैं वहीं खुदाई से जुड़ी जिम्मेदारी देख रहे निदेशक सैयद जमाल हसन का कहना है कि नदियों को ढूंढना उनका काम नहीं है। उन्होंने कहा- सिंधु सभ्यता के अवशेषों को ढूंढने की प्रक्रिया जारी है।
दैनिक जागरण की ओर लगातार कवायद के बाद अब महानिदेशक का कार्यालय सक्रिय हुआ है। बताया जा रहा है कि एएसआइ में बैठक शुरू हो गई है और जल्द की कुछ बयान दिए जा सकते हैं।