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रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुले, शिव जी का सिर यहां तो धड़ पूजा जाता है नेपाल में

उत्‍तराखंड राज्‍य के चमोली जिले में स्‍थित रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुल गए हैं। यह ऐसा ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव के शीश यानी सिर की पूजा की जाती है।

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 05:47 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 05:47 PM (IST)
रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुले, शिव जी का सिर यहां तो धड़ पूजा जाता है नेपाल में
रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुले, शिव जी का सिर यहां तो धड़ पूजा जाता है नेपाल में

यहां दिखता है सिर्फ भोलेनाथ का सिर

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रुद्रनाथ मंदिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित भगवान शिव का एक मन्दिर है जो कि पंचकेदार में से एक है। समुद्रतल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। आपको बता दें कि रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शंकर के मुख की पूजा की जाती है, जबकि संपूर्ण शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ में की जाती है। छह महीने तक पौराणिक गोपीनाथ मंदिर में निवास करने के बाद अब छह माह तक भगवान रुद्र कैलाश हिमालय में भक्तों को अपने दर्शन देंगे। भगवान को रुद्रनाथ की गुफा में विराजमान करने के लिए भक्तों ने बुगले (उच्च हिमालयी क्षेत्र में उगने वाला एक फूल) की सेज तैयार की है। छह महीने तक भगवान रुद्र इन्हीं फूलों में रहकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करेंगे।

मंदिर में नहीं गुफा में जाकर मिलते हैं दर्शन

रुद्रनाथ का उत्तराखंड के पंचकेदारों में अपना विशेष महत्व है। यहां भगवान शिव किसी मंदिर में नहीं बल्कि एक गुफा में विराजमान होकर भक्तों को अपने मुख के दर्शन कराकर धन्य करते हैं। रुद्रनाथ में भगवान शिव का विग्रह गुफा में टेढ़ी गर्दन के रूप में देखा जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार पांडवों पर गोत्र हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति के लिए पांडवों ने भगवान शिव की आराधना की। मगर भगवान शिव पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे। पांडवों ने भगवान शिव का पीछा किया तो उत्तराखंड के पंचकेदारों में भगवान शिव ने पांडवों को अपने शरीर के पांच अलग-अलग हिस्सों के दर्शन कराए। रुद्रनाथ में जब पांडवों को शिव के मुख दर्शन हुए तब जाकर उन्हें गोत्र हत्या से मुक्ति मिली।

यह भी है मान्यता

सती पार्वती ने जब अपने पिता के यहां आयोजित यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रण न देने का समाचार सुना तो उन्होंने आक्त्रोशित होकर उसी यज्ञ कुण्ड में अपने जीवन की आहुति दे दी। बताते हैं कि भगवान शिव ने रुद्रनाथ में तब तिरछी गर्दन कर नारद मुनि से सती का हाल जाना था।

कैसे पहुंचे रुद्रनाथ

चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर से तीन किलोमीटर सड़क मार्ग से सगर गांव तक पहुंचने के बाद वहां से 18 किमी की पैदल व खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद रुद्रनाथ पहुंचा जा सकता है। यहां मखमली बुग्यालों के बीच एक गुफा में भगवान रुद्रनाथ का विग्रह है। रुद्रनाथ जाने के लिए सगर में घोड़े खच्चरों की पूरी व्यवस्था है।


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