अहंकार मिटाता है रोजा
महान सूफी संत शेख नजमुद्दीन कुबरा अपनी पुस्तक में बताते हैं कि रमजान के 22 फायदे मिलते हैं। इनमें से कुछ का वर्णन किया जा रहा है। रोजेदार को आध्यात्मिक प्राण मिलता है क्योंकि वह खाने के लिए कुछ नहीं खाता। अहंकार व्यक्ति को शैतान की तरफ ले जाता है लेकिन अहंकार पेट की भूख के आगे मर जाता है। इस तरह से रोजा अहंकार से मुक्ति
महान सूफी संत शेख नजमुद्दीन कुबरा अपनी पुस्तक में बताते हैं कि रमजान के 22 फायदे मिलते हैं। इनमें से कुछ का वर्णन किया जा रहा है। रोजेदार को आध्यात्मिक प्राण मिलता है क्योंकि वह खाने के लिए कुछ नहीं खाता। अहंकार व्यक्ति को शैतान की तरफ ले जाता है लेकिन अहंकार पेट की भूख के आगे मर जाता है। इस तरह से रोजा अहंकार से मुक्ति का मार्ग है।
रोजा शैतान से निजात देता है क्योंकि रोजा एक कवच की तरह है। रोजा इंसान को नेकनीयतों में शामिल कर देता है क्योंकि रोजा व्यक्ति को पाखंड से मुक्ति देता है। रोजा व्यक्ति को भूख का प्रशिक्षण देता है और इस तरह भूखे व्यक्ति की तकलीफ को समझने की क्षमता प्रदान करता है। रोजा इफ्तार के वक्त अल्लाह की नेमतें चखने का मजा तो देता ही है बल्कि खुदा को पा लेने का आनंद भी रोजेदार को मिलता है। रोजा तंदुरुस्त बनाता है। रोजा एक वादा है कि आप इफ्तार तक कुछ नहीं खाएंगे, इस तरह रोजा वादा निभाने का प्रशिक्षण देता है। रोजा जब वादा निभाने की शक्ति देता है तो यह इस बात का सुबूत भी है कि आत्मा पर आपका नियंत्रण है। रोजा जुबान, आंख, कान और जिस्म के हर अंग का होता है जो आपको मूर्खतापूर्ण वार्तालाप, बुरा देखने, बुरा सुनने और बुरी हरकतों से रोकता है। रोजा मानव सेवा, प्रेमभाव और भाईचारे का संदेश देता है।
(शाह अम्मार अहमद अहमदी 'नय्यर मियां' साहब, ऑल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड, उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष हैं।)
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