माघ मेला में सक्रिय रहेंगे 'रॉÓ के गुप्तचर!
माघ मेला पर आतंकी खतरे की इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने पांच जनवरी 2015 से शुरू होने वाले मेला की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम का निर्णय लिया है। इसके लिए एंटी टेररिस्ट स्क्वायड के साथ ब्लू हॉक, ब्लैक कैट और एनएसजी कमांडो तो लगाए ही
इलाहाबाद। माघ मेला पर आतंकी खतरे की इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने पांच जनवरी 2015 से शुरू होने वाले मेला की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम का निर्णय लिया है। इसके लिए एंटी टेररिस्ट स्क्वायड के साथ ब्लू हॉक, ब्लैक कैट और एनएसजी कमांडो तो लगाए ही जाएंगे, खुफिया सूचनाओं को संकलित करने के लिए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के गुप्तचरों की मदद भी ली जा सकती है। माघ मेला के दौरान रॉ के गुप्तचर संगम नगरी में सक्रिय रह सकते हैं। इंटेलीजेंस ब्यूरो द्वारा दी गई रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन मुजाहिदीन और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन माघ मेला के दौरान गड़बड़ी फैला सकते हैं। लिहाजा आमतौर पर देश के बाहर खुफिया सूचनाएं संकलित करने वाली रॉ की मदद लेने की भी तैयारी है। आशंका जताई जा रही है कि कुछ आतंकी संगठन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए साधु-संतों का छद्म वेश धारण कर आ सकते हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ में छिपे आतंकियों को चिह्न्ति करने के लिए खासतौर पर प्रशिक्षित गुप्तचरों की जरूरत होगी।
आइजी देंगे खास प्रशिक्षण - माघ मेला के दौरान आतंकी संगठनों पर न सिर्फ गुप्तचर एजेंसियों की नजर रहेगी बल्कि मेला डयूटी में आए पुलिस कर्मियों को भी खासतौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। दिसंबर के दूसरे सप्ताह में आइजी दलजीत सिंह चौधरी के नेतृत्व में परेड मैदान पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित होगा, जिसमें पुलिस कर्मियों को बोली और भाषा के आधार पर आतंकियों की पहचान का गुर सिखाया जाएगा। बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी श्रद्धालुओं के वेश में मेला क्षेत्र भ्रमण करेंगे और आतंकी गतिविधियों पर नजर रखेंगे। खुफिया एजेंसियों को भी सतर्क किया गया है। सादी वर्दी में अधिकारी भी तैनात रहेंगे।माघ मेला की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। न सिर्फ गुप्तचर एजेंसियों के सदस्य बल्कि माघ पुलिस की जवानों के एक दस्ते को खासतौर पर प्रशिक्षित कर उन्हें खुफिया सूचनाएं एकत्र करने के लिए लगाया जाएगा।
-दलजीत सिंह चौधरी, आइजी जोन
आखिर गंगा का पानी बार-बार लाल क्यों हो रहा है, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन साल पहले ही स्पष्ट आदेश जारी किया है कि गंगा का पानी लाल नहीं होना चाहिए। यह सीधे-सीधे हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना है। दरअसल, यस्तता के कारण गंगा प्रकरण की सुनवाई नहीं हो रही है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उद्योग विभाग के अधिकारी मिले हुए हैं। इनकी तरफ से लगातार गंगा में प्रदूषण को लेकर फर्जी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। श्रद्धालु दिसंबर से लेकर जनवरी तक लाल पानी में स्नान करके घर वापस हो जाता है। वह गंगा के पानी का स्वयं परीक्षण करवायेंगे और गंगा के लाल रंग के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होना तय है।
अरुण कुमार गुप्ता, गंगा प्रदूषण के मामले में एमिकस क्यूरी।