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लाल गिरजाघर को बनने में लगे थे 20 साल

मसीही समुदाय के लोग क्रिसमस की तैयारी में जुट गए हैं। चर्चो की रंगाई-पुताई का काम अंतिम दौर में पहुंच चुका है। खासकर पुराने चर्चो में कुछ अधिक तैयारी की जा रही है। कानपुर रोड पर स्थित लाल गिरजाघर (सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च) ऐसा ही चर्च है जिनकी गिनती देश के

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 12:47 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 12:54 PM (IST)
लाल गिरजाघर को बनने में लगे थे 20 साल

इलाहाबाद। मसीही समुदाय के लोग क्रिसमस की तैयारी में जुट गए हैं। चर्चो की रंगाई-पुताई का काम अंतिम दौर में पहुंच चुका है। खासकर पुराने चर्चो में कुछ अधिक तैयारी की जा रही है। कानपुर रोड पर स्थित लाल गिरजाघर (सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च) ऐसा ही चर्च है जिनकी गिनती देश के प्रमुख चर्चो में होती है। यह शहर का एकमात्र मेथोडिस्ट चर्च है। इसका निर्माण 1877 में मेथोडिस्ट मिशनरी ने कराया था। इसको बनाने में 20 वर्ष का समय लगा था। रेव्ह. डेनिस ऑसबर्न चर्च के पहले पादरी थे।

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लगभग दस एकड़ में फैला यह चर्च कला व सौंदर्य का नायाब नमूना है। लाल ईंट व लकड़ी से बने इस चर्च की सुंदरता देखते ही बनती है। चर्च से जुड़े जेम्स का कहना है कि खुलने के साथ ही इस चर्च में गैर अंग्रेजों (भारतीय ईसाई) का भी प्रवेश होता था। इस चर्च का संचालन लखनऊ कांफ्रेंस द्वारा किया जाता है। कांफ्रेंस के क्षेत्र में आधा यूपी, आधा झारखंड व समूचा बिहार आता है। वर्तमान समय में चर्च में सात सौ से अधिक सदस्य हैं। यहां उसी व्यक्ति को सदस्यता ग्रहण कराई जाती है जिसे ईसाई धर्म का ज्ञान होता है।

आ गए सेंटा क्लाज- क्रिसमस को लेकर बाजार उपहार से पट गए हैं। उपहार, क्रिसमस ट्री के साथ सेंटा क्लाज के मुखौटे खूब बिक रहे हैं। सिविल लाइंस में 50 से लेकर 250 रुपये तक के मुखौटे बिक रहे हैं। इसे लगाकर ही क्रिसमस पर उपहार बांटा जाता है। इसी कारण इसकी बिक्री कुछ अधिक हो रही है।

खास होगा यीशु जन्मोत्सव-चर्च के 33वें पादरी रेव्ह. डा. अमिताभ रॉय बताते हैं कि क्रिसमस की तैयारी शुरू कर दी गई है। चर्च में 24 व 25 दिसंबर को विशेष प्रार्थना का आयोजन होगा। इसके साथ प्रभु यीशु के जीवन पर आधारित झांकी भी लगाई जाएगी। चर्च के पादरी ने बताया कि एक सप्ताह तक चलने वाले क्रिसमस उत्सव में मसीही समुदाय के अलावा दूसरे समुदाय के लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। आइआइएम अहमदाबाद से वित्त (फाइनेंस) में डॉक्टरेट करने वाले अमिताभ विगत एक वर्ष से इस चर्च के पुनर्निर्माण में लगे हैं। डेकोरेशन द्वारा इस चर्च को और दर्शनीय बना दिया गया है।


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