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नवरात्र महोत्सव के साथ यहां पर रामनवमी भी मुख्य रूप से मनाई जाती है

दुर्गा सप्तसती का पाठ और मंत्र जाप के साथ-साथ अखंड ज्योति जलाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। भक्तों को सुखी जीवन की राह दिखाई देती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 03 Apr 2017 11:38 AM (IST)Updated: Mon, 03 Apr 2017 11:53 AM (IST)
नवरात्र महोत्सव के साथ यहां पर रामनवमी भी मुख्य रूप से मनाई जाती है
नवरात्र महोत्सव के साथ यहां पर रामनवमी भी मुख्य रूप से मनाई जाती है

 यमुना विहार इलाके में सी-8 और सी-10 ब्लॉक के बीच में स्थित श्री शिव शक्ति मंदिर यमुनापार के प्रमुख मंदिरों में शुमार है। यह मंदिर वर्षों से स्थानीय निवासियों सहित दूसरे हिस्सों में बसे लोगों की अटूट आस्था का

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प्रतीक बना हुआ है। मंदिर में विशेष रूप से स्थापित की गई मां शक्ति एवं भगवान शिव की प्रतिमाओं के दर्शन करने के लिए भक्तों का अक्सर दूर दराज के इलाकों से भी आगमन होता है।

मंदिर का इतिहास

मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि इसकी स्थापना तकरीबन 60 वर्ष पूर्व कराई गई थी। यहां लंबे समय से सनातन धर्म के सभी प्रमुख पर्व बहुत ही श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाए जाते हैं। सामान्य दिनों में यहां नियमित सत्संग एवं प्रमुख अवसरों पर महिला मंडल द्वारा मातारानी सहित सभी देवी-देवताओं के गुणगान किए जाते हैं।

मंदिर की विशेषता

मंदिर के प्रवेश द्वार पर द्वारपाल की प्रतिमा विराजमान है, जिसके साथ प्रवेश करते ही सुंदर प्राकृतिक झांकी देखने को मिलती है। मंदिर प्रांगण में प्रवेश करने पर मां भगवती की सवारी के रूप में शेर की प्रतिमा दोनों

ओर दिखाई देती है। साथ ही मंदिर में नर्मदेश्वर शिर्वंलग भी स्थापित है, जो काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा मंदिर में शिव परिवार, राधा कृष्ण, लक्ष्मीनारायण, मोक्षदायिनी गंगा, राम दरबार, गायत्री माता, मां शारदा, यमुना, काली माता, शेषनाग पर विराजमान विष्णु भगवान, संतोषी माता सहित संकटमोचन हनुमान जी की प्रतिमा

भी स्थापित है। 

मंदिर में अपनी मनोकामना के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर लोगों को फल अवश्य मिलता है। यहां पर भक्तों की सभी तरह की सुख सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। नवरात्र महोत्सव के साथ यहां पर रामनवमी भी मुख्य रूप से मनाई जाती है। इसमें 56 प्रकार के भोग एवं दिव्य झांकियों सहित प्रभु का गुणगान व भंडारे किए जाते हैं। 

पंडित प्रभुनाथ पांडेय, ज्योतिषाचार्य,

मुख्य पुजारी एवं संस्थापक नवरात्र में मां के दर्शन व पूजन के लिए मंदिर सुबह पांच बजे से रात 11 बजे तक खोला जाता है। इसी दौरान दुर्गा सप्तसती का पाठ और मंत्र जाप के साथ-साथ अखंड ज्योति जलाने

की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इससे मंदिर में आने वाले भक्तों को सुखी जीवन की राह दिखाई देती है।

कौशल पांडेय, महासचिव, श्रीराम हर्षण शांति कुंज संगठन

नवरात्रों में विशेष

नवरात्रों के दिनों में यहां रोजाना महिला मंडल के सदस्य दोपहर से शाम तक भजन कीर्तन संध्या का आयोजन कराते हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों की आस्था ऐसी है कि उनको यहां आकर सुख-शांति और समृद्धि का मार्ग दिखाई देता है। सभी पर्वों के दौरान यहां भक्तों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिसके लिए मंदिर

में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं। संदिग्धों की निगरानी रखी जाती है ताकि मंदिर में आने वाले भक्तों विशेषकर महिलाओं को कोई मुश्किल न हो। वहीं प्रसाद के रूप में सभी व्रतधारियों को फलाहार कराया जाता है।

ऐसे पहुंचें मंदिर

यमुना विहार स्थित शिव शक्ति मंदिर तक पहुंचने के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं, जिसमें एक सीलमपुर रोड नंबर-66 से यमुना विहार मोड़ तक आता है और दूसरा रास्ता वजीराबाद रोड से होते हुए सी-8 ब्लॉक

यमुना विहार तक आता है। दोनों ही रास्तों से पैदल, रिक्शा या ऑटो रिक्शा के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।


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