रामायण समाज के लिए अनमोल
श्रीराम ने त्याग व तपस्या के जरिए मानव को दूसरों को नेकी के रास्ते पर चलने की सीख दी। समाज का हर व्यक्ति मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के कृतित्व-व्यक्तित्व को अपना ले तो रामराज्य स्वत: आ जाए। माघमेला क्षेत्र स्थित टीकरमाफी आश्रम के शिविर में चल रहे रामायण मेला के समापन
इलाहाबाद। श्रीराम ने त्याग व तपस्या के जरिए मानव को दूसरों को नेकी के रास्ते पर चलने की सीख दी। समाज का हर व्यक्ति मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के कृतित्व-व्यक्तित्व को अपना ले तो रामराज्य स्वत: आ जाए। माघमेला क्षेत्र स्थित टीकरमाफी आश्रम के शिविर में चल रहे रामायण मेला के समापन पर गुरुवार को जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने उक्त विचार व्यक्त किए।
कहा कि रामायण समाज के लिए अनमोल रत्न है, जो मानव को सन्मार्ग पर चलने की सीख देता है।
मुख्य अतिथि प्रो. एमपी दुबे ने कहा कि रामायण मेला जैसे आयोजनों को वृहद स्तर पर कराने की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि धर्म की राह पर चलकर हर सामाजिक समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है।
हर सामान की स्वयं करें पड़ताल- माघ मेला क्षेत्र तुलसी मार्ग स्थित सन्मार्ग शिविर में गुरुवार को जागरूकता संगोष्ठी हुई। उपभोक्ता अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित संगोष्ठी में डॉ. पीसी मिश्र ने कहा कि हर उपभोक्ता को अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना चाहिए। सामान लेने के बाद उसकी रसीद अवश्य लें ताकि उसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर बदला जा सके। कहा कि अगर सामान को लेकर कोई दिक्कत हो तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उसकी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।