Move to Jagran APP

राम ने यहां मां नर्मदा को चुनरी अर्पित कर बालू से शिवलिंग बनाया

मदनमहल पहाड़ी से लगे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जब भगवान राम चित्रकूट पहुंचे तो उन्हें शिवपुत्री मां नर्मदा के दर्शन की इच्छा हुई। तब वे सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां आए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2015 09:35 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2015 10:58 AM (IST)
राम ने यहां मां नर्मदा को चुनरी अर्पित कर बालू से शिवलिंग बनाया

जबलपुर । मदनमहल पहाड़ी से लगे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जब भगवान राम चित्रकूट पहुंचे तो उन्हें शिवपुत्री मां नर्मदा के दर्शन की इच्छा हुई। तब वे सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां आए।

loksabha election banner

श्री राम ने यहां मां नर्मदा को चुनरी अर्पित कर बालू से शिवलिंग बनाया। गुप्तेश्वर पीठाधीश्वर डॉ. स्वामी मुकुंददास ने बताया कि त्रेता युग में भगवान राम की उत्तर से दक्षिण तक की यात्रा काल का वर्णन पुराणों में आता है। कोटि रूद्र संहिता में प्रमाण है कि रामेश्वरम् के उपलिंग स्वरूप हैं गुप्तेश्वर महादेव।

1890 में चरवाहे ने देखा सबसे पहले

पुजारी योगेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर सन् 1890 में अस्तित्व में आया। पहाड़ होने के कारण इस क्षेत्र में चरवाहों का आना-जाना था। गुफा का मुख्य द्वार एक बड़ी चट्टान से ढंका था। जब लोगों ने इसे अलग किया तो गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन हुए। सावन में यहां प्रतिदिन भगवान का अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.