राम ने यहां मां नर्मदा को चुनरी अर्पित कर बालू से शिवलिंग बनाया
मदनमहल पहाड़ी से लगे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जब भगवान राम चित्रकूट पहुंचे तो उन्हें शिवपुत्री मां नर्मदा के दर्शन की इच्छा हुई। तब वे सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां आए।
जबलपुर । मदनमहल पहाड़ी से लगे गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जब भगवान राम चित्रकूट पहुंचे तो उन्हें शिवपुत्री मां नर्मदा के दर्शन की इच्छा हुई। तब वे सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां आए।
श्री राम ने यहां मां नर्मदा को चुनरी अर्पित कर बालू से शिवलिंग बनाया। गुप्तेश्वर पीठाधीश्वर डॉ. स्वामी मुकुंददास ने बताया कि त्रेता युग में भगवान राम की उत्तर से दक्षिण तक की यात्रा काल का वर्णन पुराणों में आता है। कोटि रूद्र संहिता में प्रमाण है कि रामेश्वरम् के उपलिंग स्वरूप हैं गुप्तेश्वर महादेव।
1890 में चरवाहे ने देखा सबसे पहले
पुजारी योगेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर सन् 1890 में अस्तित्व में आया। पहाड़ होने के कारण इस क्षेत्र में चरवाहों का आना-जाना था। गुफा का मुख्य द्वार एक बड़ी चट्टान से ढंका था। जब लोगों ने इसे अलग किया तो गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन हुए। सावन में यहां प्रतिदिन भगवान का अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है।