राधारानी झूलत कुंजन प्रेम हिंडोले
हरियाली तीज पर बुधवार को पौराणिक युग साकार हो उठा। ब्रह्मांचल पर्वत के कोने-कोने पर हरियाली छाई थी। कोयल और मोर जैसे सुरीली आवाज वाले पक्षी कलरव कर रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति राधा जी कान्हा और सखियों संग स्वर्ण हिंडोले में झूला झूल रही थीं। इस नजारे को देख श्रद्धालुओं की भीड़ गा उ
मथुरा। हरियाली तीज पर बुधवार को पौराणिक युग साकार हो उठा। ब्रह्मांचल पर्वत के कोने-कोने पर हरियाली छाई थी। कोयल और मोर जैसे सुरीली आवाज वाले पक्षी कलरव कर रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति राधा जी कान्हा और सखियों संग स्वर्ण हिंडोले में झूला झूल रही थीं। इस नजारे को देख श्रद्धालुओं की भीड़ गा उठी- 'राधा रानी झूलत कुंजन प्रेम हिंडोले।'
बुधवार को लाडली जी मंदिर में अलौकिक नजारा था। ब्रह्मांचल पर्वत पर छाई हरी छटा के बीच लाडली जी मंदिर का दृश्य मनोरम लग रहा था। सुबह आठ बजे मंदिर के सेवायतों ने राधा-कृष्ण के श्रीविग्रह को गर्भगृह से बाहर लाकर जगमोहन स्थित स्वर्ण- रजत हिंडोले में विराजमान किया। मंदिर सेवायतों ने श्रीकृष्ण को सखी रूप में श्रृंगार कर उन्हें राधा जी के साथ झूलाया। हरे वस्त्रों में सुसज्जित मनमोहनी श्रृंगार कर प्रिया प्रियतम ने दर्शन दिए। राधा-कृष्ण एक ही ओढ़नी में दर्शन देकर रिझा रहे थे। वृषभान नंदनी को छप्पन भोग लगाया गया। श्रद्धालुओं ने भी अपनी आराध्य को घेवर व श्रृंगार भेंट किए। मंदिर परिसर में भजन संध्या भी हुई। कुछ श्रद्धालु एक के बाद एक मल्हार गा रहे थे तो कुछ थिरक रहे थे। कस्बे के दानगढ़, विलासगढ़, राम मंदिर, मान मंदिर, रस मंदिर, गहवरवन, कुशल बिहारी जी मंदिर, श्यामा श्याम मंदिर, गोपाल जी मंदिर आदि में भी ठाकुर जी के श्रीविग्रह को झूला झुलाया गया। कस्बे के हर घर में लड्डू गोपाल जी को झूला झूलाया गया।