विधि-विधान से खुले आदिबदरी धाम के कपाट
मकर संक्रांति पर आदिबदरी धाम मंदिर के कपाट ब्रहम्मुहूर्त में विधिविधान से पूजा-अर्चना के पश्चात दर्शनों के लिए खोल दिए गए। मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया गया था। जुलगढ़, थापली के लोग सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार मंगलवार शाम को ही आदिबदरी पहुंचना शुरू हो गए थे।
कर्णप्रयाग। मकर संक्रांति पर आदिबदरी धाम मंदिर के कपाट ब्रहम्मुहूर्त में विधिविधान से पूजा-अर्चना के पश्चात दर्शनों के लिए खोल दिए गए। मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया गया था। जुलगढ़, थापली के लोग सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार मंगलवार शाम को ही आदिबदरी पहुंचना शुरू हो गए थे। इसी के साथ 11 दिवसीय महाभिषेक समारोह भी प्रारंभ हो गया है।
ब्रहम महूर्त में मंदिर के पुजारी चक्रधर थपलियाल ने मंत्रोच्चारण और पूजा-अर्चना कर मंदिर के कपाट खुलने की प्रक्रिया प्रारंभ की। सुबह 4 बजे करीब मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। पुजारी ने सप्तसिंधु के जल से यहां स्थापित विष्णु भगवान की प्रस्तर प्रतिमा का स्नान कर, रौली-चंदन से अभिषेक किया और पंचज्वाला आरती के बाद भगवान आदिबदरीजी का श्रंगार किया। श्रंगार दर्शन के साथ लोगों ने दर्शन कर पूजा-अर्चना में भाग लिया।
मंदिर के पुजारी चक्रधर थपलियाल ने बताया कि आदिबदरी धाम के कपाट शीतकाल के लिए एक माह बंद रहने के बाद मकर संक्रांति पर खुलते हैं। इस मौके पर नगली, जुलगढ़, थापली के लोग भगवान आदिबदरी को नए अनाज का कढ़ाह भोग लगाते हैं और बाद में सामूहिक भोज सभी को प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है।